वर्तमान समय में अधिकतर हिन्दू परिवारों के युवा बच्चों से अगर आप ये प्रश्न करेंगे कि भारतीय कैलेंडर के अनुसार बारह मास अर्थात महीने कौन से हैं, एवं उनका सही क्रम क्या है तो १० में से ४ बच्चे भी इस प्रश्न का सही उत्तर दे सकें तो सौभाग्य की बात होगी।

इसी तरह आप उनसे भारतीय खगोलशास्त्र (एस्ट्रोनॉमी) की किताबों में वर्णित २७ नक्षत्रों में से किन्ही भी ५ नक्षत्रों के नाम पूछ कर देखें, उनके नाम तो दूर की बात नक्षत्र की परिभाषा भी हमारी युवा पीढ़ी सही से बताने में असमर्थ रहेगी।

आजकल भारतीय शिक्षा व्यवस्था की कमियों के ऊपर आप बहुत कुछ लिख और पढ़ रहे होंगे, आप यह भी जानते है किस प्रकार आज़ादी के बाद व्यवस्था में बैठे चंद लेकिन शक्तिशाली लोगों ने प्राचीन भारतीय विधाओं को मुख्य धारा से जोड़ने का कोई प्रयास नहीं किया जिसका परिणाम हम आज देख रहे हैं।

लेकिन ध्यान देने योग्य बात यहां यह है कि हमारे घरों में आज भी हम सभी कार्यों में भारतीय रीति-रिवाजों का ही चलन देखते हैं, त्योहारों को मनाने से लेकर, विवाह अदि शुभ कार्यों में सभी जगह ही हम भारतीय पंचांग को ही मानते है। समस्या यह है कि आज के वर्तमान युग में बच्चों को अंग्रेजी स्कूल में भेजते हुए हमने अपनी ही प्राचीन परंपराओं को रूढ़िवादिता का हिस्सा मानकर उन्हें भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति कि ज्ञान से अनभिज्ञ रखा हुआ है, विडंबना यह है कि आप उन्हें सरल हिंदी पढ़ने को दीजिये, हमारे सनातनी बच्चे, जिनके कन्धों पर भारतीय संस्कृति के भविष्य की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी है, वो आपको हिंदी अच्छे से पढ़कर नहीं बता पाएंगे।

ऐसे में समय की मांग यही है कि हमें हमारे दैनिक जीवन में होने वाली धार्मिक गतिविधियों का पूर्ण ज्ञान हमारे बच्चों को देना होगा, इसके लिए आपको इन धार्मिक क्रियाकलापों पर विस्तृत रूप से लेख लिखकर अपनी बच्चों को पढ़ने देना होगा। आप में से बहुत से सनातनी भाई यह करने की जहमत नहीं उठाना चाहेंगे क्योंकि किसी बात पर बच्चे ने अगर आप से प्रश्न पूछ लिया तो उसका तार्किक उत्तर देने में आप खुद को असहज मह्सूस करते हैं, लेकिन यदि आपको भारत देश पर मंडरा रहे खतरों का तनिक भी अंदाजा हों, तो देश की संस्कृति एवं गौरव की सुरक्षा हेतु आप यह कदम अवश्य उठायें ऐसा मेरा आप सभी से निवेदन है।

बचपन में जब हम बड़े हो रहे थे, हर रोज़ हम स्कूल जाते थे, वहां घंटों तक लिखने-पढ़ने का अभ्यास करते थे। समय के साथ, हमने दो वस्तुओं की तुलना करना, दो घटनाओं के बीच संबंध स्थापित करना सीखा, हमने सीखा कि आदतें कैसे विकसित की जाती हैं, हमने सीखा कि किताबों का हमारे जीवन की गुणवत्ता पर कितना प्रभाव रहता है। स्कूल में होने वाली वार्षिक प्रतियोगिताओं जिसमें प्रश्नमंच, कला-प्रदर्शन शामिल थे, में हम हिस्सा लिया करते थे, इसके साथ ही वार्षिक महोत्सव में मंचित होने वाले नाटकों में भी हम भाग लिया करते थे।

इसके अलावा दोस्तों के साथ खेलना, नयी-नयी जानकारी हासिल करना, अपने भाई-बहिनों से लड़ना-झगड़ना ये वो बातें हैं जो हम शायद ही कभी भूल पाएंगे। लेकिन क्या हमने कभी हमारे जीवन के उस सबसे यादगार समय को संजों कर रखा, हो सकता है कि कुछ विशेष घटनाओं के छायाचित्र हमारे पास होंगे, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आप अपने बचपन के दिनों की सीखों को, यादों को शब्दों के रूप में हमेशा के लिए संजो कर रख पाते तो अपनी ज़िन्दगी में जिन उतर-चढ़ावों से हम गुजरते है, जिन चुनौतियों का सामना हम अपने निजी और व्यवसायिक जीवन में करते हैं, उनसे जूझना हमारे लिए कितना आसान होता।

आप में से वो लोग जो बचपन से अपनी डायरी लिखते आये हैं ये बात आसानी से समझ सकते हैं कि जीवन में मिलने वाली असफलताओं का सामना करना तब काफी आसान हो जाता है जब हम एक बार उन्हें कागज़ पर लिख देते हैं, फिर भावनात्मक रूप से हमारे लिए किसी घटना को सहजता से स्वीकार करना और बिना किसी पूर्वाग्रह के परिस्थितियों का उचित रूप से आकलन कर पाना संभव हो जाता है।

चाहे जीवन में मिली असफलता हो या किसी परीक्षा में पास न हो पाना हो, एक सटीक विश्लेषण आपको अपनी कमजोरियों और गलतियों को सुधारने में बहुत मदद करता है। इससे आपके मन पर घटना का नकारात्मक प्रभाव कम से कम पड़ता है, और आप डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियों से भी खुद को दूर रख पाते हैं।

लेकिन हममें से ज्यादातर लोगों को यह सुविधा नहीं मिल पाती है क्योंकि स्कूल एवं कॉलेज में सालों तक लिखने, पढ़ने, विश्लेषण करने की योग्यता का अभ्यास करने के बावजूद भी निजी जीवन में इसका प्रयोग करने का ख्याल हमारे मन में शयद ही कभी आता है।

इंटरनेट के आधुनिक युग में हमारे बच्चों को लिखने के लिए प्रोत्साहित करना काफी आसान हो गया है क्योंकि फेसबुक, इंस्टाग्राम, Quora और ऐसे अनेक मंच हमारे बच्चों के लिए उपलब्ध है जहाँ समय बिताना और अपने जीवन की घटनाओं को अपने वर्चुअल दोस्तों के साथ शेयर करना उनके दैनिक जीवन का एक हिस्सा बन गया है। ऐसे में एक अभिभावक होने के नाते आपका कार्य इतना रह जाता है कि आप उन्हें सही दिशा में अपनी ऊर्जा एवं समय लगाने के लिए उनका मार्गदर्शन करें, उन्हें सही प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करें, और उन्हें जानकारी एकत्रित करने एवं उस जानकारी पर अपने विचार लिखने के लिए प्रोत्साहित करें।

आइए जानते हैं कि आपके बच्चों के लिए अपने अनुभवों को नियमित रूप से लिखने के क्या फायदे होंगे:

  • आपके बच्चे जीवन में अधिक कल्पनाशील एवं रचनात्मक बनते हैं।
  • वे अपने विचारों को दूसरों के साथ आसानी से साझा कर पाते हैं।
  • उनका आत्म-विश्वास बढ़ता है।
  • वे भावनात्मक रूप से मजबूत बनते हैं।
  • आपके बच्चे मानसिक तनाव का सामना करने में सक्षम बनते हैं।
  • उनमें घटनाओं का सरल रूप से विश्लेषण करने की योग्यता का विकास होता है

अगली पीढ़ी को उसकी जिम्मेदारी संभालने की क्षमता से युक्त बनाने के लिए आपको पहले अपनी जिम्मेदारी उठानी होगी, आपको स्वयं भारतीय रीति-रिवाजों का, उनके पीछे जो वैज्ञानिक कारण हैं उनका ज्ञान एकत्रित करना होगा। इसके साथ ही जो भी कार्य आप प्रतिदिन करते हैं, आपके सभी धार्मिक क्रियाकलापों की जो प्रक्रिया है, जो आवश्यक नियम है सभी को आप लिखें, समझें और अपने बच्चों को समय-समय पर उन्हें पढ़ने, उन पर शोध करने के लिए अनिवार्य रूप से प्रेरित करें।

लेखन को अपने जीवन का हिस्सा बनाने से बड़े होकर आपके बच्चे न केवल अपनी परिवारक जिमेदारियों को अच्छे से समझ सकेंगे बल्कि अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का भी निर्वहन करने में सफल होएंगे।

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