क्या कोई इस हद तक गिर सकता है कि जिस देश में रह रहा है, जिस देश की योजनाओं का लाभ उठा रहा है, जिस देश ने उसे निडर होकर जीवन जीने का अधिकार दिया उसी देश के तिरंगे के अपमान कुछ लोग कैसे कर देते हैं? आखिर ऐसे लोगों को कौन शह देता है? कौन लोग हैं जो ये करवाते हैं? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिन पर चर्चा जरुरी है.
दरअसल ये पहली बार नहीं है जब हमारे ही देश में हमारी आंखों के सामने तिरंगे का खुलेआम अपमान किया जा रहा है. बिहार से लेकर झारखंड तक तिरंगे का अपमान किया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के मुजफ्फरपुर में बरियारपुर ओपी इलाके में तिरंगे में अशोक चक्र की जगह चांद-तारा बनाया गया। झंडे को बरियारपुर ओपी के गंज गौरिहार गांव के वार्ड-4 निवासी मो. बदरुल के दरवाजे से जब्त किया गया है। इसे बिहार की विडंबना ही कहेंगे की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों महागठबंधन और केंद्र की सियासत में व्यस्त हैं और नीतीश कुमार की पुलिस कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर रही है.
वहीं दूसरी तरफ झारखंड का हाल भी कुछ ऐसा ही है. झारखंड के पलामू में मुहर्रम के जुलूस के दौरान भी राष्ट्रीय ध्वज से छेड़छाड़ करते हुए उसमें अशोक चक्र की जगह तलवार छाप दिया गया था। साथ ही उर्दू में भी कुछ लिख दिया गया था। फिलहाल मामले में खानापूर्ति के लिए पुलिस ने 18 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार में तुष्टीकरण किस हद तक बढ़ती जा रही है ये बात किसी से छिपी नहीं है. वैसे भी ये कहना गलत नहीं होगा कि झारखंड में तुष्टिकरण की राजनीति का खतरनाक खेल खेला जा रहा है. अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के मोह में हेमंत सोरेन की सरकार प्रशासन पर कम और विशेष समुदाय को खुश करने में ज्यादा लगी रहती है. आपको याद होगा अंधभक्ति के चक्कर में हेमंत सोरन की ही सरकार ने झारखंड विधानसभा में नमाज़ के लिए अलग कमरे की व्यवस्था की थी.
जाहिर तौर पर चाहे बिहार हो, झारखंड हो या फिर देश का कोई भी राज्य ही क्यों ना हो, तिरंगे का अपमान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. चाहे नीतीश बाबू हों या फिर हेमंत सोरेन जी सवाल ये कि इनकी सरकार में देश विरोधी ताकतें कैसे इतनी मजबूत हो रही हैं?
आखिर में देश विरोधी ताकतों को ये बताना जरुरी है कि किसी भी हाल में तिरंगे का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा भारत.
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