मनोज मुंतशिर कि वह कविता जिसने सेक्युलर प्रजाति के पसीने छुड़ा दिए उसे झूठे मूठे कॉपीराइट का बहाना बनाकर यूट्यूब ने हटा दिया है। क्या इस देश में अब सच बोलना भी गुनाह हो गया सिर्फ इसलिए क्योंकि कुछ दिमाग से पैदल लोग आतंकवाद में सेकुलरिज्म ढूंढते हैं।

जब मनोज मुंतशिर ने अपनी कविता पेश की तब लोगो को देव आनंद साहब के पिक्चर का प्रसिद्ध गीत सार्थक होते हुए दिखाई देने लगा जिसके बोल है “कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना”। मनोज मुंतशिर जी की कविता की निगाहें तो शायद आतंकी मुगलों पर थी परंतु ना जाने क्यों निशाना तथाकथित सेक्युलर प्रजातियों पर लग गया। मनोज मुंतशिर जी ने तो मुगलों को भिगो भिगो कर जूते मारे थे परंतु ना जाने क्यों जूतों का दाग इन सेक्यूलरो के कपड़ों पर लग गया। मनोज मुंतशिर ने मुगलों को आतंकी क्या कहा इन तथाकथित सेक्यूलरो को मुगलों में तालिबान की छवि दिखाई देने लग गई और उन्होंने अपने सर्वाधिक महत्वपूर्ण कर्तव्य को पूरा करने के लिए अपने दाहिने हाथ के अंगूठे को काम में लाना शुरू कर दिया और मनोज मुंतशिर के कमेंट सेक्शन में “स्वच्छ भारत अभियान” की धज्जियां उड़ा दी। इन तथाकथित सेक्युलरो ने कोई भी कसर नहीं छोड़ी मुगलों को देव तुल्य साबित करने में। इरफान हबीब और रोमिला थापर की छाती फूल गई यह देखकर कि उनके प्रजाति के लोग उन्हें कितना प्यार करते हैं और इरफान हबीब ने तो अपने वामपंथी दिमाग का परिचय देते हुए मनोज मुंतशिर को गालियां भी दे डाली।मेरे मन में सिर्फ दो ही सवाल है,पहला यह है कि क्या मुगलों ने भी अपने समय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी? और दूसरा सवाल मेरा मोदी जी से है कि अगर सभी के घरों में शौचालय बना दिए गए हैं तो यह सेक्यूलर प्रजाति मनोज मुंतशिर जी के कमेंट सेक्शन में इतनी गंदगी क्यों फैला रही हैं? इन लोगों को चिल्ला चिल्ला कर मुगलों के लिए यह नारे लगा देने चाहिए “तेरा मेरा रिश्ता क्या बर्बरता बर्बरता बर्बरता”।

एक बार फिर से यूट्यूब में सच को छुपाने का अपना प्रयास जारी रखा और मनोज मुंतशिर की कविता को यूट्यूब से हटा दिया। बस यही आशा कर सकते हैं कि यूट्यूब फिर से मनोज मुंतशिर की कविता को वापस ले आए।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.