जस चाहेउ तस भोगहु ताता।
सनातन की परंपरा में बड़े बूढ़े कहते हैं कि हमेशा शुभ बोलना चाहिए क्योंकि कभी-कभी जुबां पर सरस्वती का वास हो जाता है और...
सनातन की परंपरा में बड़े बूढ़े कहते हैं कि हमेशा शुभ बोलना चाहिए क्योंकि कभी-कभी जुबां पर सरस्वती का वास हो जाता है और...
हिन्दू धर्म व् मनुष्य की मानसिकता हिन्दू अपने धर्म पर अडिग नहीं है अपने स्वार्थ के लिए अपने देवी देवता बदल देते हैं हिन्दू...
आज कल दो विराट व्यक्तित्व हमेशा चर्चा में रहते हैं कि एक ने किसी की तरफ़दारी में देश के टुकड़े करवा दिये तो दूसरे...
सैय्यद वंश को समाप्त करने के बाद, बहलोल लोदी ने 1451 ई. में दिल्ली सल्तनत के भीतर लोदी वंश को अपने अधीन कर लिया।...
जन्म जयंती विशेष 2 अक्टूबर के दिन देश की राजनीति के अधिकांश नेता जिनको याद करना भूल जाते है आरोप-प्रत्यारोप करने वाले नेतागण उस...
नोबेल पुरस्कार विजेताओं के लिए कोई जगह नहीं पाकिस्तान के आगमन से लेकर इस ई-बुक को लिखने तक यानी ई. 1947 से 2019 तक,...
IAS और उसका रुतबा और उस रुतबे के पीछे की सड़ांध, खोखलापन। आजादी के बाद से ही ये सड़न बढ़ती जा रही है, इसकी जकड़ इस देश के नागरिकों का ही दम घोंट रही है, उनके जीवन स्तर को गिरा रही है, भारत के लोकतंत्र के प्रति क्रोधित कर रही है और भारत जैसे युवा देश की प्रगति के मार्ग के आड़े आ रही है।
जहां एक तरफ महात्मा गांधी अपने से आधी उम्र की लड़कियों के साथ ब्रह्मचर्य के प्रयोग किया करते थे, तो वहीं दूसरी तरफ पंडित...
देश में प्रधानमंत्री के तौर पर जिस तरह से वामपंथी इतिहासकारों ने पंडित नेहरू को प्रोजेक्ट किया है, अगर नेहरू की तुलना लाल बहादुर...
लाल बहादुर शास्त्री का व्यक्तित्व भारत में और दूसरा नहीं हुआ है उनकी सादगी के अगर 100 किस्से भी सुनाए जाएं तो भी यह...