पश्चिम बंगाल की क़ानून भी टिप्पणी करना अब बिलकुल बेमासी सा है। जिस परदेश में पिछले कुछ वर्षों से सरकार , प्रशासन और पुलिस समर्थिक हिंसा , उपद्रव ,ह्त्या आदि गंभीरतम अपराधों को लगातार प्रश्रय दिया जा रहा हो। उसकी परिणति फिर ऐसी ही दिखती है जैसी आजकल दिखाई दे रही है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट होते ही प्रतिपक्षी समर्थकनों , पार्टी कार्यकर्ताओं समेत राष्ट्रीय अध्यक्ष और वरिष्ठ नेताओं तक पर जानलेवा हमलों के प्रयास शुरू हो चुके हैं। जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार के सख्त तेवर और कठोर फैसलों से पूरी तरह से बंद हो चुकी पत्थरबाजी वहाँ से आयातित होकर पश्चिम बंगाल के राजनीतिक दाल तृलमूल समर्थकों ने अपने मुग़ल और रोहिंग्याओं के साथ मिल कर पथराव ,आगजनी ,दंगे-फसाद करने में लग गए हैं।
असल में ये अब कुछ पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल द्वारा अपनी संभावित पराजय को देखते हुए जाबूझ कर प्रदेश को अशांति और हिंसा की आग में झोंका जा रहा है। राज्य की मुखिया ममता बनर्जी की स्वयं प्रधानमंत्री बनने की चाह और इसी कारण से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रति पूर्वाग्रह और द्वेष की बात भी अब जग-जाहिर है।
पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं के प्रति बढ़ता भेदभाव , जय श्री राम राम के नारे का विरोध , हिन्दू त्यौहारों , पूजा , प्रतिमा विसर्जन आदि में खड़ी की जाने वाली प्रशासनिक कठिनाइयों से पहले ही स्वयं राज्य सरकार ने सामाजिक विदेश बढ़ाने का काम किया है। इसके बाद रही सही कसर खुद मुख्यमंत्री का अपने मातहतों और राजनैतिक साथियों के साथ किए जाने वाले अभद्र व्यवहार और कटु वचनों तथा सबसे अधिक परिवारवाद के प्रति निष्ठा ने कर दिया है और आज जबकि परिक्षा की घड़ी आ रही है तो वे अलग थलग दिखाई दे रही हैं।
प्रदेश में लगातार बढ़ती हिंसक घटनाएं , हिन्दू-मुस्लिम तनाव ,घुसपैठियों का नकली मत दाता के रूप में मौजूदगी को देखते हुए ,चुनाव आयोग एवं तमाम सुरक्षा एजेंसियों तथा स्थानीय नागरिकों के लिए भी ये न सिर्फ जोख़िमभरा बल्कि चुनौतीपूर्ण कार्य होने जा रहा है।
संभावित परिणामों को देखते हुए चुनावोपरांत हारने वाली सत्तारूढ़ पार्टी का “ईवीएम हैक हो गया ” का उनका पसंदीदा रुदाली गान भी बहुत जल्द फिर सुनाई देने वाला है क्यूंकि , ये तो अब मुझ जैसे एक गैर राजनैतिक समझ वाला भी स्पष्ट देख पा रहा है
पश्चिम बंगाल ने भरी हुँकार
अबकि बार : भाजपा सरकार
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