श्रीराम : कुशल संगठन के आदर्श !

  इस भूतल पर प्रभु श्रीराम जैसे यथार्थ आदर्श वे स्वयं एकमात्र हैं ! श्रीराम ने आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श सखा, आदर्श राजा आदि अनेक आदर्श स्थापित किए...

लक्ष्मी पूजन करने की पद्धति एवं महत्व !

कार्तिक अमावस्या को अर्थात लक्ष्मी पूजन के दिन सभी मंदिरों, दुकानों एवं हर घर में श्री लक्ष्मी पूजन किया जाता है । कार्तिक अमावस्या...

वसुबारस (गोवत्स द्वादशी) का महत्व !

अश्विन कृष्ण द्वादशी के दिन वसुबारस तथा गुरु द्वादशी यह त्यौहार मनाए जाते हैं। वसुबारस या गोवत्स द्वादशी यह दिन दीपावली के साथ (आसपास)...

देवी का माहात्म्य व उपासना !

भारत में विविध संप्रदाय कार्यरत हैं । इन संप्रदायों के अनुसार संबंधित देवताओं की पूजा उपासना पद्धति प्रचलित है। गाणपत्य, शैव, वैष्णव, सौर्य, दत्त...

नवरात्री व्रत का इतिहास, महत्त्व तथा शास्त्र !

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते ।।   अर्थ : समस्त  प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी कल्याण करने...

नारायणबलि, नागबलि एवं त्रिपिंडी श्राद्ध

प्रस्तुत लेख में ‘नारायणबली, नागबलि व त्रिपिंडी श्राद्ध’ के विषय में अध्यात्मशास्त्रीय विवेचन पढें । इसमें मुख्य रुप से इन विधियों के संदर्भ में...

पितृपक्ष और श्राद्ध विधि करने का महत्व !

हिंदू धर्म में बताए गए ईश्वर प्राप्ति के मूलभूत सिद्धांतों में से एक अर्थात ‘देवऋण, ऋषि ऋण, पितृऋण और समाज ऋण यह चार ऋण...