बिहार के सीमांचल के जिलों में इन दिनों धड़ल्ले से सरकारी स्कूल इस्लामीकरण की तरफ बढ़ रहे हैं. सीमांचल इलाकों में सालों से बिना किसी सरकारी आदेश के 500 से ज्यादा सरकारी स्कूलों में रविवार की जगह शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश दिया जा रहा है। मुस्लिम बहुल आबादी वाले किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जिले में स्थित स्कूलों में इस परंपरा का पालन किया जा रहा है। इसी कड़ी में किशनगंज जिले के 37 स्कूलों में जुमे की दिन छुट्टी का मामला अब और तूल पकड़ता जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी खबरें सामने आई है कि शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए बच्चों को छुट्टी दे दी जाती है और उसकी जगह रविवार को स्कूल खोला जाता है. इसके अलावा जो हैरान करने वाली बात समाने आयी है वो ये कि सरकारी दस्तावेजों में इसका जिक्र मिला है. जिसमें साफ-साफ लिखा गया है कि किस-किस स्कूल में जुमे का अवकाश होता है. अब इस पूरे मामले में बिहार के शिक्षा विभाग की नींद खुली है और शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मामले में संज्ञान लेते हुए किशनगंज के डीईओ से रिपोर्ट तलब की है.
कुछ दिनों पहले हमने आपको बताया था कि किशनगंज जिले के 19 स्कूलों में बिना किसी आदेश के शुक्रवार को छुट्टी दी जा रही है और रविवार को बच्चे स्कूल आते हैं । शिक्षा विभाग के मुताबिक, मुस्लिम बहुल इलाका होने के कारण यहां शुरू से ये परंपरा चली आ रही है।
वहीं मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम बहुल इलाका और मुस्लिम छात्रों की संख्या ज्यादा होने के कारण इन स्कूलों में शुक्रवार को नमाज पढ़ने की छुट्टी दी जाती है. हैरानी की बात ये है कि इनमें से कोई भी उर्दू स्कूल नहीं हैं। यह सभी हिंदी स्कूल हैं। यहां मुस्लिम छात्रों की संख्या 80 प्रतिशत से अधिक है। स्कूल की स्थापना 1901 में हुई थी, तभी से शुक्रवार को नमाज अदा करने के नाम पर अवकाश रहता है और रविवार को पढ़ाया जाता है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक साप्ताहिक छुट्टी शुक्रवार को देने वाले किसी भी आदेश को मंजूरी नहीं दी गई है। शिक्षकों का मानना है कि यह प्रथा लगभग एक दशक पहले यहां के स्थानीय मुस्लिम नेताओं के आदेश पर शुरू हुई थी।
जाहिर सी बात है सरकार और पूरे महकमे की आंखों के सामने दशकों से स्कूलों में एक खास समुदाय के लोग अपने नियम बना रहे हैं और इसकी जानकारी ना ही स्थानीय प्रशासन और ना ही शिक्षा महकमे को हुई. जिस तरह से नियमों को ताक पर रखकर जुमे को स्कूलों की छुट्टी कर दी गई है उससे कई सवाल उठ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या शिक्षा के मंदिर को भी धर्म के आधार पर चलाया जा रहा है? आखिर प्रशासन को इसकी भनक कैसे नहीं लगी ?
दरअसल बिहार-झारखंड दोनों ही राज्यों में इन दिनों शिक्षा के कथित इस्लामीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है और सरकार को इन सबके बारे में कोई जानकरी नहीं होती. सरकारों की नींद तब टूटती है जब मीडिया इन खबरों को सामने लाती है . ऐसे में समय रहते सभी राज्यों की सरकार को जल्द कोई ठोस कार्रवाई कर स्कूलों में इस्लामीकरण को रोकना चाहिए.
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