चाहे करोड़पति हों या अरबपति कंपनी हों , देश के नियम कायदे कानूनों का पालन सभी पर बाध्यकारी है – माननीय न्यायपालिका ने अभी हाल ही में व्हाट्सप्प से उपभोक्ताओं की निजी जानकारी बिना उनकी सहमति के लिए जाने और व्यावसायिक उपयोग किए जाने विषयक वाद को सुनते हुए यह तल्ख टिप्पणियाँ की .
असल में पिछले कुछ वर्षों में दुनिया की सबसे लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साइट्स फेसबुक , ट्विट्टर , इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्म /मंचों का दुरुपयोग किए जाने और इनमें इन सोशल नेटवर्किंग साइट्स की संचालक कंपनियों व संचालाकों का दोहरा रवैया , देश विरोधी ताकतों के पक्ष व विचारों को समर्थन व सहमति देना , पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत के उपभोक्ताओं के लिए अलग मापदंड , आदि बहुत सी आपत्तिजनक नीतियों व निर्णयों ने इन्हें विवादित विषय बना दिया .
इतना ही नहीं , कई बार इन साइट्स पर भारत का मानचित्र , कोई भू-भाग आदि को गले चित्रित करके दर्शाना , भारत विरोधी साजिशकर्ताओं द्वारा प्रसारित सामग्री , टूलकिट आदि अन्य गंभीर ने भी इन सोशल साइट्स निष्पक्षता पर संदेह उत्पन्न किया है .
भारत सरकार द्वारा इन पर जब कार्यवाही , नियमन ,नियंत्रण , प्रतिबंध लगाए जाने की बात होते ही इनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मीडिया पर सेंसरशिप आदि की दुहाई के प्रत्युत्तर में इन्हें ये याद रखना चाहिए की विशुद्ध रूप व्यापार और मुनाफे के लिए चलाए जा रहे इन तमाम साइट्स की अपना धंधा चलाने पर ध्यान देना चाहिए और खुद पर सेंसरशिप की तलवार लटकते ही अभिव्यक्ति की आजादी की दुहाई का राग नहीं अलापना चाहिए .
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