महाराष्ट्र सरकार का हफ्ता वसूली घोटाला
महाराष्ट्र में जबसे शिव सेना,कांग्रेस और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) ने जोड़ तोड़ करके अपनी सरकार बनाई है, उसी समय से पूरे प्रदेश में जंगल राज जैसी स्थिति बनी हुई है. सरकार की तरफ से पुलिस अफ़सरों को हफ्ता वसूली के बड़े बड़े टारगेट दिए जा रहे हैं. जो लोग चुपचाप मोटी रकम देकर हफ्ता वसूली घोटाले में सरकार की मदद कर रहे हैं,उन्हें महाराष्ट्र सरकार उनके काले कारनामों को अंजाम देने के लिए हर तरह का संरक्षण दे रही है और जो लोग इस हफ्ता वसूली का हल्का सा भी विरोध कर रहे हैं, उन्हें फ़र्ज़ी पुलिस मामलों में फंसाकर न सिर्फ गिरफ्तार किया जा रहा है, बल्कि उनके मुंह पर आतंकियों की तरह काला कपड़ा डालकर गले में रस्सी बांधकर जानवरों की तरह घसीटते हुए पुलिस थाने लाकर ज़लील किया जा रहा है. हफ्ता वसूली का यह गोरखधंधा इसी तरह चलता रहता लेकिन महाराष्ट्र की हफ्ता वसूली सरकार की हिम्मत इतनी बढ़ गयी की उसने देश के अग्रणी उद्योगपति मुकेश अम्बानी को भी अपनी हफ्ता वसूली का शिकार बनाने की कोशिश की और उसमे इनके पुलिस अधिकारी रँगे हाथों पकड़ लिए गए. सचिन वाज़े की गिरफ़्तारी के बाद मुंबई के पुलिस कमिश्नर का तबादला करके महाराष्ट्र की सरकार अपने काले कारनामों पर लीपा पोती करने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर जिनकी इन हफ्ता वसूली घोटाले में मुख्य भूमिका थी, तबादले के बाद से ही यह महसूस कर रहे थे कि सचिन वाज़े की तरह उनकी भी गिरफ्तारी हो सकती है और इससे पहले कि उनकी गिरफ्तारी होती उन्होंने हफ्ता वसूली घोटाले का पर्दाफाश कर दिया . पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह की चिट्ठी बेहद परेशान करने वाली है. सिर्फ मुंबई से ही 100 करोड़ रुपये महीने की हफ्ता वसूली का सरकारी आदेश था. महाराष्ट्र के अन्य शहरों में भी इसी तरह के अलग अलग हफ्ता वसूली के टारगेट दिए गए होंगे. सरकारी तौर पर इतने बड़े पैमाने पर हफ्ता वसूली का शायद यह दुनिया का पहला मामला ही कहा जाएगा.
बड़ा सवाल यह है कि क्या महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए बिना इस मामले की निष्पक्ष जांच संभव है क्योंकि कमिश्नर की चिट्ठी के हिसाब से तो महाराष्ट्र सरकार के कई बड़े मंत्री ही खुद इस घोटाले में शामिल हैं. उधर सचिन वाज़े भी NIA को सरकार में शामिल कई मंत्रियों और नेताओं के नाम बता चुका है. सरकार बर्खास्त होगी या नहीं होगी या किन किन मंत्रियों और अफसरों की गिरफ्तारी आगे आने वाले दिनों में होगी, यह देखना दिलचस्प रहेगा. सवाल यह भी है कि 2013 तक जब केंद्र में भी महाराष्ट्र सरकार की तर्ज़ पर एक गठबंधन की सरकार चल रही थी, तब उस लम्बी अवधि में कितने बड़े पैमाने पर हफ्ता वसूली पूरे देश में अंजाम दी गयी होगी ?
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