अभी कुछ वर्षों पहले -भारतीय राजनीति में विपक्षी राजनीतिज्ञों ने वामियों ,कांगियों और छद्म निर्पेक्षवादियों के साथ मिल कर एक नया शब्द ईजाद किया था वो था असहिष्णुता। और भगवा आतंकवाद की ही तरह गढ़े गए इस शब्द का पर्याय और निहितार्थ सिर्फ और सिर्फ एक ही था और वो ये कि – केंद्र में भाजपा की राष्ट्रवादी मोदी सरकार को चुनने वाले करोड़ों भारतीय हिन्दू अचानक से ही असहिष्णु हो उठे हैं।
हाल और हालात कुछ इस तरह से बयां किए जा रहे थे मानो , युगों से सहनशील और स्वभाव से सहिष्णु हिन्दू सनातनी अचानक ही हिंसक और अराजक हो उठे हों। वे बात बात पर दुसरे धर्म और मज़हब के लोगों को पकड़ कर उन्हें नोंच खसोट को मार तक देने पर उतारू हो गए हों। इस बाबत न सिर्फ देश विदेश की मीडिया और समाचार माध्यमों में खूब हो हल्ला मचाया गया बल्कि देश का एक ख़ास तख्ती गैंग और चिट्ठी लिखो गैंग भी इनके साथ ही इसमें शामिल होकर टूलकिट गैंग की मुहिम को पूरा करने लगा।
समय बीतने के साथ ही , जब दूसरी बार भी देश की जनता ने प्रचंड बहुमत से उसी सरकार और उसी नेतृत्व को चुन लिया तो धीरे धीरे -असहिष्णुता वाले सारे अंकल जी और आंटी जी लोग इसे भूल छोड़ कर आगे किसी दूसरे शब्द को गढ़ने की जुगत में लग गए। फिलहाल कांग्रेसी युवराज -हिन्दू और हिंदुत्व का मतलब समझते समझाते पाए जा रहे हैं।
लेकिन इस बीच पिछले कुछ ही दिनों में पंजाब में और उससे थोड़ा से पहले ही दिल्ली पंजाब सीमा पर -भीड़ द्वारा जिस तरह से ईश निंदा या गुरु की शान में बेअदबी किए जाने की कोशिश करने वालों को – एकदम शांत , सहिष्णु , अहिंसक , प्यारी सी -भीड़ ने , सार्वजनिक रूप से -किसी के हाथ पाँव काट कर तो किसी को भाले और कृपाण से घोंप घोंप कर मार दिया , वो कुछ भी उसे Mob लिंचिंग तो नहीं ही कहा जा सकता है -क्यों है न ??
एक विशेष मज़हब जिसमें तो -नाम लेना और चित्र कार्टून तक बनाने भर से शहर , देश और दुनिया को फूँक डालने का हुक्म ,फतवा जारी हो जाता है उसका तो चलिए अब दुनिया को सब कुछ पता ही है लेकिन दुनिया पर ये अब जाहिर हुआ है कि -सवा लाख से एक लड़ाऊँ – का जयकारा बुलंद करने वाले गुरु महाराज ने ये भी कहा था कि – पूरी भीड़ मिलकर -किसी को यूँ बेरहमी क़त्ल करके भी -गुरु की शान में सेवा की जानी चाहिए।
तो समाचार ये है कि – अमृतसर से लेकर कर्पूरथला तक में -क़त्ल किए गए दोनों ही लाशों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज़ कर ली गई है , जो पुलिस अपने सामने -हैवान हुए लोगों के हाथों किसी को क़त्ल किए जाने से नहीं रोक पाई , उसकी जान बचा नहीं पाई उसने फ़ौरन ही दोनों मृतकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज़ कर दिया है। देर सवेर उन दोनों -धर्म द्रोहियों को अपने पाक पवित्र हाथों हथियारों से सज़ा देने वाले -दुनिया के सबसे अच्छे लोगों को सरकार और समाज कुछ न कुछ पारितोषिक और सम्मान भी देगी ही।
लेकिन , इस बीच नज़रें -असहिष्णुता वाले अंकल जी , चिट्ठी और तख्ती लिखने वाले आंटी जी लोगों को जरूर तलाश रही हैं और साथ ही उन्हें भी जो मानवाधिकार के नाम पर अक्सर ही ऐसे किसी दूसरी घटनाओं के समय पूरे लाव लश्कर के साथ नज़र आने लगते हैं
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