भारत के दक्षिणी राज्यों में ईसाई मिशनरियों द्वारा किया जा रहा हिंदुओं का धर्मांतरण एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. हर दिन धर्मांतरण की खबरें सामने आती रहती हैं. खास कर तमिलनाडु में ईसाई मिशनरीज किस तरह के हिंदुओं को टारगेट बना रहे हैं ये किसी से छिपा नहीं है. यहां तक कि वे अब स्कूली बच्चों को भी निशाना बना रहे हैं.
इसी कड़ी में तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले की पचेरी गांव की रहने वाली वलारमती ने कलेक्टर ऑफिस के बाहर आत्मदाह करने की कोशिश की. गनीमत रही कि महिला को बचा लिया गया. महिला का आरोप है कि उसे और उसके पूरे परिवार को 10 सालों से धर्मांतरण के लिए परेशान किया जा रहा है. ईसाई धर्म अपनाने के लिए उस पर लगातार दबाव डाला जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वलारमती ने आरोप लगाया कि उसी के गांव का ही रहने वाला देवदास उसके परिवार को ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर कर रहा है। एक तो ये पूरा परिवार ईसाई मिशनरीज से परेशान है वहीं दूसरी तरफ जब ये परिवार पुलिस के पास पहुंचा तो पुलिस विभाग ने ना ही किसी कार्रवाई का भरोसा दिया ना ही परिवार की कोई मदद ही की . इसके बाद पुलिस की बेरुखी से परेशान होकर महिला अपने परिवार के साथ कलेक्टर ऑफिस पहुंची थी, जहां अधिकारी आम लोगों की शिकायतें सुन रहे थे। इसी दौरान उसने आत्मदाह करने की कोशिश की . हालांकि वहां मौजूद लोगों ने महिला को बचा लिया।
Women & her family, who refused to convert to Christianity by force, decided to set themselves on fire as her complaints fell on deaf ears.
State of affairs in TN! Forced conversion law is the need of the hour. pic.twitter.com/JGa899RUgp
— Krishna Kumar Murugan (@ikkmurugan) May 16, 2022
महिला ने आरोप लगाया कि उसके गांव में धर्म परिवर्तन का काम कई दिनों से किया जा रहा है और जब इस परिवार ने इनकार कर दिया तो उसे 2019 से ही परेशान किया जा रहा है। महिला का आरोप है कि उनके बेटे को झूठे मामले में फंसा दिया गया है। वलारमती ने कहा, “इसके बाद हम कोर्ट गए और हमारे पक्ष में फैसला आया। इसके बाद उन लोगों ने मुझे जान से मारने की कोशिश की।” वहीं, पुलिस विभाग की मानें तो जांच की गयी है लेकिन जांच में पता चला है कि मुद्दा भूमि विवाद का है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वहां रहने वाली महिलाओं ने मिशनरियों पर आरोप लगाया कि जब वे चर्च के पास से गुजरती हैं तो उन पर पत्थर फेंककर उन्हें परेशान किया जाता है. इतना ही नहीं जिन लोगों ने हाल ही में धर्म परिवर्तन किया है वे उन बच्चों को परेशान करते हैं जिनकी परीक्षाएं चलती हैं. वे चाहते हैं कि हिंदुओं के बच्चे देर रात चर्च में होने वाली प्रार्थना में शामिल हों.
बता दें आपको तमिलनाडु सरकार ने 2002 में बल, धोखाधड़ी या प्रलोभन द्वारा किए गए धर्मान्तरण को प्रतिबंधित करने के लिए एक कानून लेकर आयी थी। हालांकि, 2006 में विरोध के कारण कानून को निरस्त कर दिया गया था।
इन्हीं धर्मांतरण गैंग वालों ने तमिलनाडु की 17 साल की लावण्या को धर्म परिवर्तन के लिए इतना मजबूर कर दिया था कि उसने मौत को चुनना बेहतर समझा. लेकिन अपना धर्म नहीं बदला. इसलिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन को ईसाई मिशनरियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरुरत है .
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.