पालघर में साधुओं की हत्या का मामला हो या सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच का – ठाकरे परिवार अर्णब को चुप कराने के लिए कुछ भी करेगा
देश मे पहली बार कोई सरकार पुलिस सब कुछ छोड़कर एक चैनल के खिलाफ टूट पड़ा हैं। महाराष्ट्र सरकार और पुलिस को ना अपराधों से लड़ना हैं, ना अपराधियों को पकड़ना हैं, केवल अर्णब गोस्वामी और रिपब्लिक चैनल के खिलाफ पूरी सरकार उतरी हुई हैं रात दिन 24 घन्टे
ठाकरे और अर्णब का झगड़ा सिंपल है। ठाकरे सरकार अर्णब को चुप करना चाहती हैं और अर्णब चुप होने को तैयार नहीं।
पालघर में साधुओं की हत्या के मामले में रिपब्लिक चैनल के अभियान से शुरू हुआ ये झगड़ा सुशांत सिंह राजपूत की रहस्मय मौत की जांच की कवरेज में आर पार की जंग में बदल गया।
अभी कुछ ही दिन पहले शिवसेना ने पूरे देशभर में अर्णब के खिलाफ 2000 से ज्यादा FIR करवाई थी। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद वो मामला नियंत्रित हुआ। अर्णब गोस्वामी को देर रात तक थाने में बिठाने वाली मुम्बई पुलिस, इस हद्द तक पहुंच गई कि रिपब्लिक के पत्रकार अतुल को तीन दिन तक लॉकर में बंद करके रखा गया और झूठे केस दर्ज करवाये गये।
आज जब मुम्बई पुलिस पालघर की जांच में फेल हो चुकी हैं। ड्रग का भयानक धंधा पुलिस की नाक के नीचे चलता पकड़ा गया हैं, सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में पुलिस की जांच एक कदम आगे नहीं बढ़ पाई हैं तब मुम्बई के पुलिस कमिश्नर सब काम छोड़कर रिपब्लिक चैनल के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं।
इस पूरी लड़ाई में सबके शर्मनाक है बाकी मीडिया चैनलों का रवैया। आजतक, एबीपी जैसे चैनल अर्णब गोस्वामी के खिलाफ ऐसी रिपोर्टिंग कर रहै हैं जैसी शायद कभी आतंकवादियों के खिलाफ भी नहीं की होगी।
ये अर्णब का आतंक हैं। रिपब्लिक चैनल की लोकप्रियता का असली पैमाना बाकी चैनलों की यही नफरत है इसके लिए TRP देखने की भी जरूरत नहीं।
ये पुलिस केस, मुकदमे, झूठी बयानबाजी और सारे चैनलों द्वारा एक चैनल पर हमला , ऐसा देश मे पहली बार हो रहा हैं। लेकिन इस लड़ाई में मीडिया का असली चेहरा बेनकाब हो रहा है, और ये साबित हो रहा हैं कि आज अगर असली न्यूज़ का कोई एकमात्र विश्वसनीय सोर्स हैं तो वो हैं सोशल मीडिया।
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