किसी ने क्या खूब कहा है कि , जब कोई नहीं देखता टैब भी कोई होता है जो सब देखता है . जरा सा पीछे जाकर याद करिए , देश की राजधानी दिल्ली सहित देश के बहुत से भागों में उपद्रव , दंगे , फसाद , तोड़ -फोड़ करती उन्मादी भीड़ जो हाथों में तख्तियाँ ,बैनर , पोस्टर लेकर चीत्कार करती फिर रही तही -कागज़ नहीं दिखाएंगे -कागज़ नहीं दिखाएंगे .

संयोग देखिए , इन सारे अपराधों के पुलिस और कानून के शिकंजे में आते ही तब से लेकर आज तक और अभी तो अगले कई सालों तक उन्हें अदालत में सिर्फ और सिर्फ कागज़ ही दिखाना है याउर बार बार दिखाना है .

और यदि आपको याद हो तो नकारात्मक सोच वाले वामी लिब्रान्दू ,पत्रकार , खिलाड़ी और फिल्मी कलाकारों ने भी इनके सुर में सुर मिलाते हुए कहा था -कोई कागज़ देखे और नाम पूछे तो रंगा बिल्ला बता देना . अब ये इत्तेफाक भी देखी कि , “नो कर ” ओनली बकर -बकर वाले फार्मूले के महारथी बने अनुराग बासु और तापसी पन्नू दोनों को जब करोड़ों रुपए की कर चोरी के आरोप में घेरा गया है तो एक बार फिर उनके जिम्मे में वही आया है यानि -कागज़ दिखाना .

और तो और मोदी तथा भाजपा विरोध में गिद्ध की तरह आ जुटने वाले कुछ राजनीतिक लकड़बग्घे जो इनके साथ मिल कर आनोदलांजीवी बन गए थे उन बेचारों को भी अपनी मफलर टोपी की सदाबहार पहचान से अलग अपना अपना कागज़ दिखाना पड़ रहा है -बिना कागज़ के तो कोरोना की वैक्सीन भी नहीं लगवाई जा सकती .

लोगबाग कह रहे हैं कि ,कागज़ दिखाना तो छोड़िए , चाय की पत्तियां तोड़ना , गंगा में डुबकी लगाने वालों को भविष्य के योगी राज में गाय का गोबर उठाने की नौबत आ जाए तो हैरानी नहीं होगी .

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