शायद ही आपने हमने कभी इस बात पर गौर किया हो कि आज जब विपक्ष और तमाम विरोधी न सिर्फ सरकार पर बल्कि पूरे जनमानस पर हिंदूवादी होते जाने का आरोप मढ़ रहे हैं उस समय भी देश के एक दो नहीं पूरे 8 राज्य ऐसे हैं जहां हिंदुओं की संख्या किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय जितनी हो गई है . त्रासदी ये कि इनके अलावा केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में तो हिंदुओं की स्थिति किसी अल्पसंख्यक समुदाय से भी अधिक असंतोषजनक है .

इस मुद्दे का एक दुःखद पहलू ये भी है कि जनसंख्या के आंकड़ों केके अनुसार जिन 8 राज्यों में हिंदुओं की संख्या , अल्पसंख्यकों में है वहां भी मौजूदा व्यवस्थाओं के कारण किसी भी तरह के आरक्षण संरक्षण के वे पात्र नहीं समझे गए हैं .

इन 8 राज्यों में हिंदुओं को विधिक रूप अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा और यथानुसार अधिकारों के पुनर्स्थापन हेतु विख्यात राष्ट्रवादी अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय जी ने सर्वोच्च न्यायालय में एक वाद भी संस्थापित किया है , जिस पर संबंधित पक्षों को नोटिस भी जारी किया जा चुका है .

इनसे अलग पश्चिम बंगाल और केरल तो अब ऐसे राज्य के रूप में पहचान बना चुके जहां सत्ता , प्रशासन की शह पर न सिर्फ हिंदुओं , बल्कि मंदिरों और देवी देवताओं की मूर्तियों तक को लगातार निशाना बनाया जा रहा है . केरल में हिंदुओं को RSS का कहकर मारा जा रहा है तो पश्चिम बंगाल में भजापाई बता कर उनकी हत्या की जा रही है . सबसे दुःखद बात ये है कि इन दोनों ही राज्यों में मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति चरम पर है और सरकार व प्रशासन सभी सनातन के विरोध में खड़े दिखाई देते हैं .

और ये उस देश की वास्तविक स्थिति है जिसके लिए कहा जा रहा है कि वो अब अन्य सम्प्रदाय , पंथों के प्रति असहिष्णु हो गया है . इस देश में बहुसंख्यक होने के बावजूद अपने घर-शहर में प्रताड़ित उपेक्षित होते रहने के बाद भी पंथनिरपेक्षता , सर्वधर्म समभाव , वसुधैव कुटुम्बकम तथा सर्वे संतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया के आदर्शों को साथ लिए चल रहा है और यही सनातन धर्म की शक्ति भी है और संस्कार भी .

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