मेरी बेटी नानी के घर से लौट रही थी, रास्ते में अगवा कर टीएमसी समर्थकों ने गैंगरेप किया. नौ मई की घटना की दस मई को पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की. मेडिकल मुआयने के बाद बेटी को पुलिस ने शेल्टर होम भेज दिया. पुलिस ने यह कहकर रेप पीड़ित बेटी से नहीं मिलने दिया कि जाओ दूसरी बेटी को देखो, उसके साथ भी रेप हो सकता है.”।

कुछ ऐसी ही दास्तान सुनाई है पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा के शिकार एक पीड़ित परिवार ने. ग्रुप ऑफ इंटलेक्च ुअल्स एंड एकेडमीशियन्स (जीआईए) नामक टीम ने पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा के शिकार परिवारों से भेंटकर फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी को सौंपी है. इस रिपोर्ट में बंगाल में हिंसा के शिकार तमाम परिवारों की दर्दनाक आपबीती है।

गौरतलब है कि जब से बंगाल में चुनावी नतीजा आया है तभी से सैकड़ों लड़कियों के साथ रेप हत्याएं जैसी जघन्य वारदात हुई हैं, लोगों ने बड़ी संख्या में अपने घरों से पलायन किया है। इतनी चौंकाने वाली घटना होने के बावजूद भी मुख्यधारा की मीडिया से यह सब खबरें क्यों गायब है?

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