हजार से भी ज्यादा लोगों का धर्मांतरण करवाने वाले उम्र गौतम के बारे में नई जानकारियां सामने आ रही हैं। 20 वर्ष की आयु में उमर गौतम ने इस्लाम कबूल किया था और तभी से वह धर्मांतरण के रैकेट में लग गया था। सूत्रों के मुताबिक उमर गौतम इतना शातिर दिमाग था कि वह हिंदू जनता को बहलाने के लिए सबसे पहले खुद के हिंदू होने की कहानी बताता था और फिर इस्लाम की तारीफ करता था ताकि हिंदू जनता को उसकी बात सुनने में आसानी लगे।


 दिल्ली के जामिया नगर में उमर गौतम ने जो दफ्तर बनाया हुआ था वहां अपने दफ्तर की मेज पर वो चारों वेद की किताबों को रखा करता था ताकि हिंदू धर्म ग्रंथ उसकी मेज पर रहे और जनता को यह यकीन रहे कि इन वेदों का सारा मर्म और ज्ञान उमर गौतम जानता है और यह सब जानने के बाद ही उमर गौतम ने इस्लाम अपनाया है।


गौरतलब है कि जाकिर नायक जैसे मुस्लिम प्रचारक अक्सर वेदों का जिक्र करते हैं ताकि हिंदुओं को विश्वास में लिया जा सके। सोची समझी रणनीति के तहत वेद की उन रचनाओं को याद कर लिया जाता है जिसमें ईश्वर को निराकार कहने की बात कही गई है और फिर उसके बाद इस्लाम के निराकार अल्लाह की बढ़ाई को बताया जाता है। बहुत ही शातिर तरीके से ये प्रोपेगेंडा बीते कई सालों से मजहबी प्रचारकों द्वारा चलाया जा रहा है और उमर गौतम भी इसी प्रक्रिया को धर्मांतरण के लिए अपना रहा था।

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