कुछ साल पहले तक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कला की अभिव्यक्ति आदि जैसे लफ्फाजियों के सहारे , कभी पेंटिग्स , कभी लेख , कभी कविता ,कोई उपन्यास आदि में सनानत संस्कृति , हिन्दू धर्म , हिंदुत्व , रीति रिवाज , मान्यताएं परम्पराएं , उत्सव त्यौहार और यहाँ तक कि -हिन्दू देवी देवताओं का उपहास उड़ाना , उन्हें खलनायक की तरह प्रस्तुत करना और झूठ प्रपंच के सहारे पूरे हिन्दू समाज को बदनाम करने की जो एक कुप्रवृत्ति ने जन्म लिया था अब वो विषबेल बढ़ कर एक नासूर बन चुकी है।

आए दिन कोई भी उठाईगीरा , किसी भी हिन्दू प्रतीक , देवी देवता , धर्म , ग्रंथों , पौराणिक पात्रों का उपहास उड़ाने के लिए धारावाहिक , सिनेमा , स्टैंडअप और वेबसीरीज़ बना कर समाज में वैमन्सयता , घृणा और मज़हबी द्वेष फैलाने की कोई न कोई करतूत कर रहा है। हालाँकि अब आम लोग ये सारी तिकड़मबाजी और इस षड्यंत्र को बहुत अच्छे से जान कर समझ गए हैं इसीलिए ऐसी हर कोशिस का न सिर्फ पुरज़ोर विरोध किया जा रहा है बल्कि इन्हें अदालत में लाकर सबक भी सिखाया जा रहा है।

ऐसी ही एक और कोशिश की जा रही है आने वाली फिल्म -रावण लीला में , इस फिल्म का नाम रावण लीला से अब भवई कर दिया गया है , किन्तु जैसा कि नाम -रावण लीला -से ही ज़ाहिर है कि इसे बनाने वाली टीम , निर्माता निर्देशक , अभिनेता और अभिनेत्रियों की मंशा क्या है ?? हाल ही में रीलीज़ किए गए इसके ट्रेलर को देखकर भी ये और सपष्ट हो जाता है।

उल जलूल कथानक से पहले तो रावण को खलनायक की जगह नायक का स्थान देना , बेहद आपत्तिजनक संवाद -जैसे रावण कह रहा है -सुना है बजरंगी भाई कह रहे थे सीता और मेरे में कोई सैटिंग है – जैसे घृणित और निहायत ही घटिया संवादों के सहारे रामायण के सभी पात्रों , चरित्रों का उपहास और अपमान किया /दिखाया जा रहा है।

इस फिल्म का विरोध शुरू हो चुका है और लोगबाग फिल्म बनाने वालों की लानत मलामत भी शुरू कर चुके हैं , लेकिन सवाल ये है कि आखिर कब तक ये सब यूँ ही चलता रहेगा। और दूसरी बात ये भी कि आखिर हर बार -सनातन ,हिन्दू , हिंदुत्व को ही आसान समझ कर असहाय समझ कर निशाना बनाया जाता रहेगा। इन सब एजेण्डावादियों , जानबूझ कर ऐसे अपराध करने वालों को आखिर कब माकूल दंड मिलेगा कम से कम इतना तो जरूर ही की हठात फिर कोई ऐसा दोबारा करने का दुःसाहस न कर सके।

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