T20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के हाथों भारत को बुरी तरह शिकस्त मिली है । भारत को शिकस्त मिलने के बाद से ही सोशल मीडिया पर फैंस को काफी धक्का लगा है। कुछ लोग इसके चलते कप्तान विराट कोहली पर निशाना साध रहे हैं और उन्हें बातों ही बातों में सलाह दे रहे हैं कि विराट कोहली दीपावली पर बम पटाखे चलाने हैं या नहीं इस पर ज्यादा ध्यान ना दें बल्कि वह अपनी टीम की परफॉर्मेंस सुधारने पर ज्यादा ध्यान दें।

वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के खिलाड़ी अपनी कौम , अपने मजहब के लिए इतने वफादार हैं कि वह खेल के मैदान पर ही नमाज पढ़ने लग जाते हैं जबकि दूसरी तरफ भारत के खिलाड़ी अपने आप को सेक्यूलर और बुद्धिजीवी दिखाने के लिए अक्सर इधर-उधर का ज्ञान देते रहते हैं।

पाकिस्तानी टीम के यदि क्रिकेट इतिहास को याद किया जाए तो अक्सर पाकिस्तान के खिलाड़ी अपनी कॉमन बातचीत में ‘अल्लाह का शुक्र’ अदा करते हैं जबकि भारत के खिलाड़ियों से कथित तौर पर कभी भी यह देखने को नहीं मिला है। भारत के विराट कोहली खुद को सेक्यूलर दिखाने के लिए दिवाली पर बम पटाखे ना जलाने की बात करते हैं जबकि बकरीद के मौके पर उनके मुंह से एक शब्द नहीं फूटता है।

आखिर ऐसा क्यों है कि अपने धर्म, अपने संस्कार , अपने पर्व, अपने त्यौहार को अधिकार-हक के साथ मनाने से हम भारतीय डरते हैं। बीते 70 सालों से हम भारतीयों के मन में जो मानसिक गुलामी भर दी गई है क्या यह उसी का नतीजा नहीं है कि अपने संस्कारों के प्रति हम लोग एकनिष्ट नहीं हैं? अपने धर्म अपने संस्कार से प्रेम करने का जज्बा भारत के खिलाड़ियों को पाकिस्तानी और बांग्लादेशी खिलाड़ियों से सीखना ही चाहिए।

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