पश्चिम बंगाल का दूसरा नाम ही हिंसा प्रदेश बनता जा रहा है। आज बंगाल अगर खबरों में रहता है तो सिर्फ हिंसा, हिंदुओं पर हमले और बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्याओं की वजह से। ममता बनर्जी के शासन में जिस तरह से राजनीतिक हिंसा और हिंदुओं पर एक के बाद एक हमले हो रहे हैं उसके आंकड़े आपको अंदर तक झकझोर कर रख देंगे. ममता बनर्जी के शासन में बंगाल में हिंसा की आग बुझने का नाम नहीं ले रही है.

प.बंगाल में आलम ये है कि ना तो वहां रहने वाले हिंदुओं की जिंदगी ही सुरक्षित है और ना ही उनका धर्म उनकी आस्था. बंगाल में आए दिन हिन्‍दुओं पर जुल्‍म किये जा रहे हैं। किसी ना किसी बात को लेकर मुसलमान हिन्‍दुओं को निशाना बनाते रहते हैं। इसी कड़ी में एक बार फिर रविवार को कोलकाता के बड़ा बाजार के कोटदार इलाके में मुस्लिम भीड़ ने विश्‍वकर्मा पूजा के दौरान विसर्जन कर लौट रहे हिन्‍दुओं पर हमला किया और जमकर पिटाई की। खबर है कि जिस इलाके से हिन्‍दू लौट रहे थे, वहां मौजूद मुसलमानों ने जयश्रीराम के जयघोष पर आपत्ति जताई और इसे बंद करने के लिए कहा। इतने में ही मुसलमानों ने हिन्‍दुओं को घेर लिया और उन पर टूट पड़े।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना के बाद हिन्‍दुओं के दबाव में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान तबरेज और मोहम्मद सरफराज के रूप में हुई है। स्‍थानीय हिन्‍दुओं की सूचना के बाद मौके पर पहुंचे पश्चिम बंगाल बीजेपी के नेता देवदत्‍त माझी ने कहा कि राज्‍य में जिहादियों के हौसले बुलंद हैं। उन्‍हें पता है कि ना तो सरकार कुछ कहेगी और ना ही पुलिस कुछ करेगी। यही कारण है हिन्‍दुओं को निशाना बनाया जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि बड़ा बाजार में जिहादियों ने विसर्जन कर लौट रहे हिन्‍दुओं पर घात लगाकर हमला किया है। क्‍योंकि उन्‍हें कानून का कोई डर नहीं है।

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इसमें कोई संदेह नहीं कि ममता बनर्जी ने अपने 11 सालों के कार्यकाल में बंगाल को पूरी तरह से बर्बाद करके रख दिया है। जिसकी सरकार सत्ता में है, जिसके हाथों में बंगाल का शासन है, उस टीएमसी के गुंडे ही बंगाल में हिंसा मचाए हुए हैं। बंगाल से हिंसा की खबरें आना अब कोई बड़ी बात नहीं रह गयी है। जो ममता बनर्जी हिंसा के जरिये बंगाल की सत्ता तक पहुंची हैं, उनसे बंगाल में शांति व्यवस्था बनाए रखने की उम्मीद भी कैसे की जा सकती है.

दरअसल ममता बनर्जी और उनकी पूरी राजनीति ही मुस्लिम तुष्टिकरण के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है। ममता बनर्जी जिस तरह से रोहिंग्या और कटृरपंथियों को पालने का काम कर रही हैं उससे तो यही लगता है कि ये तुष्टीकरण कहीं ममता के गले की हड्डी ना बन जाए!

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