ये भारत देश में ही हो सकता है कि एक विवादित लेखिका देश में नक्सलवादी लोगों के साथ रहे और फिर उनका महिमामंडन करते हुए किताब लिखे और उसे किसी यूनिवर्सिटी में छात्रों को पढ़ाया जाए। नक्सलवादी विवादित लेखिका अरुंधति राय की किताब Walking With The Comrades को तमिलनाडु की यूनिवर्सिटी में विगत 3 वर्षों से पढ़ाया जा रहा था। ये किताब तिरुनेलवेली के मनोनमनियम सुंदरनार विश्विद्यालय के कॉलेज में एम.ए अंग्रेजी साहित्य के तीसरे सेमेस्टर में पढ़ाई जा रही थी।


इस किताब में अरुंधति राय के छत्तीसगढ़ में जंगल यात्रा का जिक्र है, जिसमें वो नक्सलियों के ठिकानों पर गईं और उनका महिमामंडन करते हुए ये विवादित किताब लिखी। हैरानी की बात है कि इस किताब को पिछले 3 साल से सरकारी यूनिवर्सिटी में पढ़ाया भी जा रहा था । फिलहाल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की शिकायत पर यूनिवर्सिटी ने इस किताब को हटाने का फैसला लिया है। 


एबीवीपी की दक्षिण तमिलनाडु की इकाई का कहना है कि अरूंधती रॉय की किताब खुलकर नक्सलवादियों का महिमामंडन करती है इसमें नक्सलवादियों को हीरो की तरह पेश किया गया है और देश विरोधी बातों को लिखा गया है। ऐसे में अरुंधति रॉय की किताब का सरकारी यूनिवर्सिटी से हटना विचारधारा की लड़ाई में दक्षिणपंथी राजनीति की आंशिक जीत है मगर हैरानी और पड़ताल इस मुद्दे की होनी चाहिए कि पिछले 3 साल से देश विरोधी किताब को सरकारी यूनिवर्सिटी में पढ़ाया क्यों जा रहा था।

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