धर्मसमुच्चय, परम्परावाद अथवा शास्त्रवाद(तर्करत्नार्णव सहित)

पूज्य श्री स्वामी करपात्री जी को धर्मसम्राट् की उपाधि मिलने का एक कारण यह था कि उनका प्रत्येक निर्णय, वक्तव्य शास्त्रसम्मत होता था। धर्म...