पंजाब से शुरू हुआ किसानों का विरोध प्रदर्शन दिल्ली तक पहुंच गया है। ऐसे में प्रदर्शन में शामिल कुछ गुटों से खालिस्तान और पाकिस्तान तक के प्रति प्रेम निकल रहा है जिससे इनकी मंशाओं पर शक होना लाज़मी हो गया है। पाक प्रेम और देश विरोध की बात उठने पर गुपकार गठबंधन का एक्टिव होना आम बात है। वैसा ही इस बार भी हुआ है। गुपकार गठबंधन की नेता महबूबा मुफ्ती ने अब इन अराजकता फ़ैलाने वाले तथाकथित किसानों का भी बचाव किया है, जो दिखाता है कि इन लोगों को अराजकता कितनी ज्यादा प्रिय है। ये लोग सवाल उठाते हैं कि देश प्रेम क्या है जबकि इन लोगों ने कभी असल देश प्रेम को समझा ही नहीं हैं।

गुपकार गठबंधन की प्रमुख पार्टी पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती ने सवाल उठाया है कि देश में यदि कोई बीजेपी के खिलाफ जाता है वो देश विरोधी कैसे है? इस मुद्दे को लेकर महबूबा ने कहा, “भाजपा मुस्लिमों को ‘पाकिस्तानी‘, सरदारों को ‘खालिस्तानी‘, एक्टीविस्टों को ‘अर्बन नक्सल‘ और स्टूडेंट्स को ‘एंटी नेशनल‘ और ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग‘ कहती है। ऐसे में मैं यह नहीं समझ पा रही हूं कि अगर ये सब आतंकवादी और राष्ट्र विरोधी है तो इस देश में हिंदुस्तानी कौन है? क्या केवल बीजेपी ही हिंदुस्तानी हैं?” महबूबा मुफ्ती ने अपने इस बयान के साथ ही बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया है।

इसमें कोई शक नहीं है कि पंजाब से चले इस किसान आंदोलन में किस तरह से देश विरोधी नारे लगे हैं। हम भी अपनी रिपोर्ट में इस बात की चर्चा कर चुके हैं कि खालिस्तानी आतंकवादी भिंडरवाला के समर्थन में लोग पोस्टर बैनर लेकर कई इलाकों में देखे गए हैं। साथ ही लोगों द्वारा लोक इंसाफ पार्टी के विधायक के सामने ही पाकिस्तान के समर्थन में नारे भी लगे हैं जो कि देश के लिए एक चिंताजनक बात है। ऐसे में उन पर सवाल उठाना लाजमी ही है, लेकिन कुछ वामपंथी गिरोह के लोग लगातार देश में ये एजेंडा गढ़ रहे हैं कि बीजेपी का विरोधी व्यक्ति कुछ भी विरोध करेगा तो भाजपा उसे देश विरोधी ठहरा देगी, जबकि ये गलत है।

देश के कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी अभी तक देशद्रोह का मतलब भी नहीं समझ पाए हैं। देश में विरोध करने की आजादी सभी को है लेकिन वो विरोध ऐसा न हो कि वो पूरे देश के लिए मुसीबत का सबब बन जाए। सड़कों पर जाम लगाकर लोगों के दैनिक कार्यों को बाधित करना देश प्रेम तो नहीं हो सकता। देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में खड़े होकर देश के टुकड़े-टुकड़े करने की बात करना, चिकन नेक को अलग करने की बात, पुलिस पर बेजा पथराव किसी भी कीमत पर देश के प्रति प्रेम की श्रेणी में तो नहीं आता है। यही नहीं कश्मीर में जिन पत्थरबाजों का महबूबा मुफ्ती ने समर्थन कर रख था, वो देशद्रोह की श्रेणी में ही आता है।

महबूबा मुफ्ती जो भारत के झंडे को न थामने की बात कर के उसका सरेआम अपमान करती हैं और सेना के खिलाफ युवकों को भड़काने का जहर उगलती हैं वो देश द्रोह की श्रेणी में ही आता है। अपने देश की संसद से पारित कानून के बाद खत्म हुए अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए गुपकार गठबंधन के ही नेता का चीन से मदद लेने की बात करना देश दोह की श्रेणी में ही आता है जो काफी भयानक स्थिति है।

ये सभी वामपंथी एक ऐसा एजेंडा बनाकर बैठे हैं कि ये जो भी करें इन्हें करने दिया जाए,वरना ये अपने देशद्रोह को बीजेपी का एजेंडा बताकर प्रसारित करते हैं, जो कि शर्मनाक है। इसी को देखते हुए अब ये गुपकार की नेता महबूबा मुफ्ती भी किसानों के समर्थन के नाम पर खालिस्तानी आतंकवादियों को शह देने में जुट गईं हैं जो कि इनके असल रुख को उजागर करता है।

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