मित्रों आज मैं उस विषय पर बात कर रहा हूं जिसपर आजतक किसी ने गौर नहीं किया है पर यह सत्य है बॉलीवुड का। बॉलीवुड में कई तमाम चेहरे आपने देखे हैं कई बड़े सितारे हैं क्या आपने सोचा है इन बड़े बड़े सितारों में आदिवासी या कोई दलित समाज से भी है दीपिका पादुकोण,अनुष्का शर्मा,स्वरा भास्कर,अनुराग कश्यप, आमिर खान,सलमान खान,शाहरुख खान, रणवीर सिंह,रणबीर कपूर,अनिल कपूर, सोनम कपूर,करीना कपूर,अक्षय कुमार सभी नामों को सुना है देखा है पर क्या वजह है कि बॉलीवुड में आदिवासी समाज का युवा बड़ा अभिनेता या अभिनेत्री नहीं बन पाया आखिर इसकी क्या वजह है क्या बॉलीवुड में आदिवासियों की जगह नहीं बॉलीवुड के सितारे हमेशा दलित आदिवासी कल्याण की बातें तो करते हैं पर बड़े-बड़े डायरेक्टर अपने मूवी में किसी बड़े भूमिका के लिए कोई दलित आदिवासी वर्ग से युवाओं को मौका दिया है ,नहीं दिया है ना आखिर क्यों नहीं दिया है बॉलीवुड वाले रंगभेद पर भी बात करते हैं यही लोग गोरा होने के बाद भी ना जाने कितने परत अपने चेहरे पर लगाते हैं खुद को गोरा दिखाने की कोशिश करते हैं क्या यह कम गोरे लोगों को पर्दे पर बिना मेकअप नहीं उतार सकते।

आज के युवाओं को यह समझना होगा जो पैसा हम मूवी में खर्च करते हैं जो कि कई सौ करोड़ है जिसका अधिकांश हिस्सा सिर्फ चुनिंदा 20 से 25 नामी डायरेक्टर, कलाकार के पास ही है।

आपको क्या मिला यह सोचने का विषय है आज भी बॉलीवुड में जितना पैसा है वह पैसा देश की जनता का है पर वही बॉलीवुड वाले राजनीतिक बातें करते हैं। उनको देखने वाले हर विचारधारा से जुडे़ हैं पर वो राजनीतिक बयानबाजी सिर्फ एक विचारधारा के पक्ष में करते हैं। लोकतंत्र में अपनी बात रखने का सबको हक है पर आपको पैसा तो सभी विचारधारा के लोगो से कमाना है।
अगर राजनीतिक शौक रखते हैं तो चुनाव लड़े।

आज कल वेब सीरीज के माध्यम से या फिर बॉलीवुड में जहां मजहब की बात हो एक सोची समझी रणनीति के तहत ये काम करते हैं जिसमे एक खास भावना को ठेस पहुंचाने का प्रयास रहता है इनका।
इनको मूवी के हीट होने से कोई मतलब नहीं होता ये विज्ञापन और कई माध्यम से पैसे बना ही लेते हैं।
अगर इनको घाटा होने का डर होता तो कई मूवी के विरोध के बाद भी यह फिर से ऐसे विषय ना परोसते पर ये बार बार होता है।

आमिर खान की पत्नी को भारत में डर लगता है क्योंकि इनको पता है इनके विचारधारा से जुडे़ लोग इस तरह की हरकत करते हैं कि कब क्या हो जाए पता नहीं पर इस देश के बेचारे बहुसंख्यक समुदाय की सराहना करनी चाहिए जो शान्ति कायम करने के लिए बार बार अपनी सभ्यता परम्परा पर हमला करने वालों का प्रतिकार नहीं करते।
जब मुनव्वर राणा ऐसा सायर सुप्रीम कोर्ट तक के बारे में अभद्र टिप्पणी कर सकता है और आजाद है क्या तुर्की जा कर आमिर खान बोल सकते हैं कि आपने जो गैर मुस्लिमो के साथ किया है वह गैर मुस्लिमो में खौफ पैदा करेगा। नहीं बोल सकते हैं। क्यूंकि वह भारत नहीं है।

ऐसा क्यों हो रहा है ?
यह एक सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है ताकि लोगो के सब्र का बांध टूट जाए और समाज में अशांति हो। देश की बदनामी हो और मौजूदा केन्द्र सरकार इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाए।
पर हम लोगों को जागरूक करते रहेंगे और इनके मंसूबे को सफल नहीं होने देंगे।

भारत सरकार का रुख क्या सन्देश देता है:
मोदी 2 एक बड़े वर्ग के लिए बहुत ही पीड़ा दायक रहा है। एक से एक पत्रकारों की असंवैधानिक टिप्पणियां , बॉलीवुड और कुछ संगठनों का खुलेआम सबूत के साथ नाम आना , isi एजेंटों के साथ रिश्ते या फिर विपक्षी राजनीतिक दलों के असभ्यता को सिर्फ इस डर से कार्यवायी ना करना की पाकिस्तान या विदेशी मीडिया कुछ लिख देगा।
क्या लिख देगा? किस बात का डर? कांग्रेस से आपको सीखना होगा जिस तरह कांग्रेस अपने विरोधियों को कुचल के राजनीति करती है वह आपको सीखना होगा ।
आपकी सरकार रहते हुए आप कुछ नहीं कर पाए तो याद रखियेगा जिस दिन भाजपा गई ये क्या कर देंगे आप अंदाजा नहीं लगा सकते। इनके इतिहास को आपसे अच्छा कौन जानता है।

जन जन की बात।
अमित कुमार के साथ।

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