1. अखंड भारत

भारत के नए संसद  भवन में लगा सम्राट अशोक की राजसीमाओ के एक चित्र ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, हमारे पड़ोसी देशों ने इसे अज्ञानतावस अखंड भारत का मानचित्र समझ लिया|

बात आज उनकी नही हैं , बात आज ये हैं की क्या हमारा अपना देश भारत  तैयार हैं अखंड भारत के लिए ?

कई सवाल हैं पहला तो यही की हम कैसा अखंड भारत चाहते हैं एक ऐसा भारत जिसमे सब एक देश के अंतर्गत आता हो या फिर एक यूरोप जैसी खुली सीमाओं बाली व्यवस्था… आज के दौर में बड़े बड़े शिक्षक, बाबा और कई बड़ी हस्तियां भी अखंड भारत की बात कर रही हैं लेकिन ये सब एक ख्याति पाने से अधिक कुछ नहीं हैं।

दूसरा सवाल ये की इस तरह की व्यवस्था बनाने के बाद भी क्या हम  आपके देश में एक अराजक माहौल नहीं बना देंगे, जामिया के एक प्रोफेसर द्वारा कही गई बात की सारे एक वर्ग के लोग मिलकर अपना जनसंख्या के हिसाब से अपना प्रधानमंत्री बनायेंगे  उनकी बात को हल्के में नहीं लिया जा सकता ।

तीसरा सवाल ये की क्या हमारे अपने देश की समस्याएं हमने सुलझा ली हैं जो हम कर्ज मैं डूबे हुए देशों को जो अपनी कट्टरता के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं उनको अपने राष्ट्र में समाहित करे, और क्या वो देश स्वयं  इसमें शामिल होना चाहेंगे?

चौथा सवाल ये की क्या हमारी अर्थव्यवस्था इन सब के लिए तैयार हैं , क्योंकि अगर हम देखे तो हमारे आसपास या  कहे तो अखंड भारत में शामिल होने वाले किसी भी देश की अर्थव्यवस्था स्वयं के पैरो पर खड़ी नहीं हैं और उनकी अर्थव्यवस्था के प्रति उदासीनता देख कर निकट भविष्य में तो उनकी अर्थव्यवस्था में सुधार दूर की कोड़ी लगता हैं।

पांचवा सवाल ये की क्या हम 75 साल से अलग रह रही जनता को  जिसने भारत के साथ युद्धों में मारे गए अपने सैनिकों का सम्मान किया हो क्या वो भुला दिए जायेंगे और क्या हम भुला पाएंगे  उन देशभक्ति से ओतप्रोत जवानों को जिन्होंने अपना सब कुछ बलिदान कर दिया था।

छटा सवाल ये की  क्या हम तैयार हैं तालिबान के साथ सीमा साझा करने को क्योंकि दूर का इंसान कितना की अच्छा सही पास मैं आने पर लड़ाई होना स्वाभाविक हैं।तो क्या हम त्यार  हैं?

सातवा सवाल ये की क्या हम खुद जो अपने पूर्वी राज्यों के लोगो के साथ हो रहे भेदभाव को आज तक खत्म नहीं कर पाए वो दूर के पश्चिमी राज्यो के साथ मेलमिलाप बड़ा पाएंगे।

बेसक अखंड भारत एक खुशनुमा सपना हैं, परंतु ये हमारे आज और आने वाले 50 से 70 सालो के लिए तो  बिलकुल भी सही नही हैं ,न तो एक देश के तौर पर और न ही यूरोपियन यूनियन के तरीके से ।

लोग जो इस बात को बड़ा चढ़ा के बता रहे हैं उन्हें समझना चाइए की ये बात अभी बहुत दूर हैं और हमारे हित में नहीं हैं।

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