आज कल हर जगह आपको अग्निवीर योजना का गुणगान करते हुए चाटुकार मिल जाएगे । उनसे पहला सवाल है कि वर्तमान भर्ती प्रक्रिया में क्या खामी हैं? क्या इस भर्ती प्रक्रिया ने देश को विगत 70 वर्षों में अक्षम सैनिक दिए हैं ?
   जब कोई युवा वायुसेना में भर्ती होता है तो सबसे पहले वह 6 महीने का आधारभूत प्रशिक्षण प्राप्त करता है। उसके बाद उन्हें अलग अलग ट्रेंड का आवंटन किया जाता है। उसके बाद तकनीकी ट्रेंड का बंदा 16 महीने का कोर्स करता है । अगर किसी परीक्षा में असफल हो जाए तो 6 महीना अतिरिक्त। इसके बाद वे किसी एक विमान पर 4-6 महीने का टेट्रा कोर्स करते है। कुल मिलाकर एक वायुसैनिक कम से कम 28 महीने का प्रशिक्षण प्राप्त करता है। 
               इसके बाद वायुसैनिक अपने यूनिट में जाते है, जहाँ पर उन्हें 2 -3 साल कोई उन्हें विमान को हाथ भी नहीं लगाने देता है। इन्हें करना क्या है यही सिखने में 3-4 साल लग जाते है। कुल मिलाकर एक कुशल वायुसैनिक तैयार करने में 6-7 साल लग जाते है। 
अब आती है मोदी सरकार की मास्टरस्ट्रोक योजना अग्निवीर। जिसमें रिटायर होने की उम्र है 4 साल यानी एक अच्छा वायुसैनिक बनने से पहले ही बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। ये लोग फौज में झाड़ू -पोछा,और गार्ड ड्यूटी के अलावा कुछ नहीं कर पायेगे। 
                         अग्निपथ योजना में आपकी जान की कीमत है 48 लाख रुपये । अगर आप किसी मुठभेड़ में विकलांग हो गए तो? 100% विकलांगता में 48 लाख, 75% में 25 लाख और 50% विकलांग होने पर 15 लाख मिलेगे। अगर 50% से कम विकलांग होने पर सीधा घर चले आइए आपको दिव्यांग कहलाने का मौका मिलेगा। कुछ दिन पहले तक आजीवन पेंशन, मेडिकल, कैन्टीन और मेडिकल के आधार पर रिटायर्मेंट मिलता था। पर आपको क्या करना इन चीजों का, आप तो देश सेवा के लिए जा रहे है। 
                  अभी तक समान्य सैनिक को साल में 90 दिनों की छुट्टी मिलती है। पर इस योजना को इतना गहन चिंतन के बाद बनाया गया कि वे भूल गये हैं कि अग्निवीरो को भी छुट्टी की आवश्यकता होगी, अतः छुट्टी का कॉलम खाली छोड दिया गया है । और ड्यूटी के घंटे निश्चित नहीं है और आप 24*7 ड्यूटी पर होगे। 
  एक और अफवाह यह फैलाया जा रहा है कि चार साल में ये अग्निवीर इतने काबिल, अनुशासित और योग्य हो जाऐगे, कि इन्हें नौकरियां देने के लिए कंपनी की लाइन लगी होगी। अरे बाबलों, जो लोग 20 साल की नौकरी के बाद फौज से रिटायर होते है, उनमे से तो 90% बैंक, आवासीय कॉलोनी और बड़े दुकानों के आगे सिक्युरिटी गार्ड बन कर खड़े है। जब फौज 20 साल में इन्हें काबिल न बना पायी, तो तुम 4 साल में क्या उखाड़ पाओगे। चार साल तो तुम्हें ये समझने में निकल जायेगे की फौज क्या चीज़ है? चार साल फौज की नौकरी करके तुम्हारा दिमाग घुटनों में आ जायेगा। 
                         ये अग्निपथ नाम सारा खेल इसलिए खेला जा रहा है कि जवानों को पेंशन देने से बचा जा सके। कुल मिलाकर देश की सरकार सेना को वेतन और पेंशन देने में अक्षम हो चुकी हैं। कोई भी युद्ध जवानों के मनोबल पर जीता जाता है और यह योजना जवानों के मनोबल को तोड़ने के लिए ही लायी गयी। फौज का हर अफसर जनता है कि यह नीति सेना के लिए कितना विध्वंसकारी है, बस बोल नहीं पाते है। 
                       जो लोग इस योजना को सफल बता रहे है वो बता दे कि इस योजना का पायलट प्रोजेक्ट कहा पर किया गया है। इसे धरातल पर उतरने दीजिए, सभी को यह योजना समझ मे आ जाएगी, जिस प्रकार अटल जी की न्यू पेंशन स्कीम लोगों को 15 साल बाद समझ मे आ रही है और लोग रिटायर्मेंट के बाद 500 रूपए की पेंशन पा रहे है। तब तक कही देर न हो जाए।

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