नाम अंकित, उम्र पंद्रह साल, पता शेख सराय फेज वन न्यू डेल्ही सेवेंटीन। अंकित को डाउन’स सिंड्रोम है। अक्सर अपने घर आने वाले मेहमानों को देख कर परेशान हो जाता था। छुपकर किचन से झांकता जबकि साथ के रौशनी और विनय पढ़ या खेल रहे होते थे। बैंक में कार्यरत पिता और नार्थ कैम्पस में जॉब करती माँ उसका फ्यूचर सिक्यॉर करते करते झल्लाने लगे थे। अंकित को परेशान देख खुद परेशान रहने लगे थे। साउथ दिल्ली के डॉक्टर्स भी कुछ ख़ास कर नहीं पा रहे थे। ज़िन्दगी जैसे बैक गियर ले चुकी थी, आगे के बजाये पीछे चल रही हो, और अचानक एक चमत्कार हुआ। 

अंकित के पिता को वात्सल्यग्राम नामक जगह के बारे में बताया गया। जानकारी करने पर पता लगा कि वात्सल्यग्राम नामक उस जगह पर अंकित जैसे बच्चों की देखभाल के लिए एक वैशिष्ट्यम नाम का एक प्रोजेक्ट है जहाँ अंकित को रख कर देखा जा सकता है। 

आज 3 महीने हुए हैं यहाँ। अंकित अब मुस्कुराना सीख गया है। साथ के वैभव से उसकी अच्छी दोस्ती है। दोनों साथ खाते खेलते हैं और अब अंकित सही ही नहीं हो रहा बल्कि लिफाफे बनाना सीख गया है, जो यहाँ बच्चों को सिखाया जाता है। सॉफ्ट टॉयज बनाना और अर्टिफिशियल जूलरी बनाना भी सीखा है उसने। लेकिन ये हुआ कैसे?

वृन्दावन के वात्सल्यग्राम में वैशिष्ट्यम नाम का ये प्रकल्प चलाया जाता है जहाँ अंकित जैसे बच्चे रहते हैं।  यहाँ बच्चों का इलाज ही नहीं होता बल्कि उनके भविष्य के लिए एक उद्यमिता प्रकल्प भी चलाया जाता है जहाँ बच्चों को कुटीर उद्योगों की जानकारी देकर अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया जाता है। साथ ही में एक नन्ही दुनिया नाम का कृत्रिम प्रकल्प है जिसमें एक जंगल बनाया गया है जिसमे बच्चों की प्रकृति के साथ नजदीकी बढ़ाने की कोशिश की जाती है। इन बच्चों को यहाँ मुफ्त में रखा जाता है जिसमें उनकी सभी आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है। भोजन, चिकित्सा, कंप्यूटर की दीक्षा, कुटीर उद्योगों की शिक्षा आदि सब कुछ इनके लिए यहाँ फ्री है जिसके लिए समाज के दानवीरों का सहयोग अभिवन्दनीय है। 

वैशिष्ट्यम: घर से दूर एक घर

इस लेख के माध्यम से लेखक का उद्देश्य किसी को मात्र दान के लिए प्रेरित करना नहीं है अपितु अंकित जैसे बच्चों की समुचित व्यवस्था, उपचार और सबसे जरुरी, सौम्य व्यवहार के लिए यहाँ लाने की जरुरत पर ध्यान आकृष्ट करना है। अंकित जैसे बच्चे जब अपने जैसे तमाम दूसरे बच्चों के साथ मिलकर कुछ सीखते हैं तो यकीं मानिये, साधारण बालक से ज्यादा बेहतर सीखते हैं, शायद इसीलिए विशिष्ट भी होते हैं, इन बच्चों को हमारी हमदर्दी नहीं सहयोग की जरुरत है। उन बच्चों की कोई बुनियादी जरुरत अधूरी न रहे, एक सभ्य समाज के नाते ये जिम्मेदारी हमारी है। आइये सहयोग का हाथ मिलाएं, फ़ोन उठाएं और वात्सल्यग्राम को नंबर मिलाएं। 

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