पालघर में साधुओं की निर्ममता पूर्वक हत्या, अर्नब और कंगना के मामले और सुशांत सिंह आत्महत्या के मामले के बाद परमवीर सिंह की चिट्ठी ने महाराष्ट्र सरकार की जगहंसाई करने एवं गठबंधन को मुश्किल में डालने का काम किया है! बेशर्म गठबंधन (शिवसेना,कांग्रेस,राकांपा) ने सता के लोभ में समस्त रीति-नीतियों को ठेंगा बताते हुए गठबंधन किया, तभी ये साफ हो गया था, कि स्वार्थी तत्वों का गठबंधन कल्पना से भी ज्यादा लूट खसोट करेगा! मुंबई पुलिस आयुक्त पद से हटाए गए परमवीर सिंह की चिट्ठी के बाद भी शरद पंवार द्वारा गृहमंत्री देशमुख का झूठ बोलकर बचाव करना (यथा: देशमुख अस्पताल में भर्ती थे, एवं तत्पश्चात क्वांरीटिन थे) सिद्ध करता है, कि हमाम में सब नंगे हैं! जांच के बाद यह भी स्पष्ट होना तय है, कि जिलेटिन कांड में गिरफ्तार सहा. पुलिस निरी.सचिन वाजे द्वारा मासिक 100 करोड़ की वसूली की रकम गृहमंत्री तक ही नहीं पहुंचती थी, बल्कि घटक दलों के मुखियाओं तक भी पहुंचती थी! हो सकता है, ऐसे सवालों के जवाब ठीक से कभी सामने न आऐ, लेकिन प्रश्न उठना स्वाभाविक है, कि महाराष्ट्र में ऐसे और भी सचिन वाजे होंगे जो अपने राजनीतिक आकाओं के निर्देश पर धड़ल्ले से वसूली अभियान चला रहे थे! वैसे भी मुंबई वसूली के मामले में कुख्यात थी, तब यह काम माफिया- मवाली किया करते थे, अब इसे सरकार चलाने वालों ने अपने हाथ में ले लिया है!
-गंगा सिंह राजपुरोहित

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