आज जब दिल्ली दंगे ,और सिर्फ दिल्ली ही क्यों ,उत्तर प्रदेश ,बंगाल ,आसाम ,महाराष्ट्र जैसे बहुत से राज्य और बहुत सारे स्थानों में अचानक एक कानून के संशोधन मात्र से (ज्ञात हो कि नागरिकता कानून में इससे पहले भी चार बार सरकारों द्वारा संशोधन किया जा चुका था ) , को गुज़रे लगभग छः महीने गुजरने जा रहे हैं |
ऐसे में इन दंगों की आग में मारेकाटे , लूटे , झुलसे फूंके गए लोग और देश की वो तमाम सार्वजनिक सम्पत्तियाँ एक ही प्रश्न लिए सामने खड़ी हैं कि बताओ – उस एक कानून जिसकी तुम्हें समझ तक नहीं थी उसके लागू होने के डर ने तुम्हारा हमारा सब कुछ ख़त्म कर दिया या कि उसे तुमने जानबूझ कर अपनी नफरत के एजेंडे की भेंट चढ़ा दिया ?
जैसे जैसे दिल्ली पुलिस व अन्य जाँच एजेंसियाँ दिल्ली के क्रूरतम और हैवानियत की सारे हदें पार कर देने वाले दंगे , जिसे अब दंगे से हटकर षड्यंत्र या साजिश सिद्ध किया जा चुका है , की तह में जाकर उसकी परतें उघार रही है तो वही सब कुछ निकल कर सामने आ रहा है जिसकी कि आशंका पिछले कुछ समय से जताई और बार बार चेताई भी जा रही थी |
वर्तमान भाजपा सरकार को लगातार दूसरी बार और अधिक मजबूती और प्रचंडता से लौटता देख ,सालों से बहु संख्यक समाज ,और विशेषकर हिन्दुओं के प्रति अपनी नफरत ,घृणा को भीतर दबाए हुए चरमपंथी ,वामपंथी आदि आख़िरकार अपने असली चरित्र को उजागर करने को विवश हो गए |
थोड़ा सा और पीछे चलिए , तीन तलाक प्रथा पर कानून बना कर उसे ख़त्म कर देना , अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में सर्वोच्च अदालत का फैसला आना , जम्मू कश्मीर को दशकों तक नासूर की तरह डसते धारा 370 के बाद , नागरिकता संशोधन कानून जिसमें पड़ोस से धर्म के आधार पर पीड़ित शरणार्थी अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया था , के पारित होने के बाद भविष्य में , समान नागरिकता संहिता , राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर ,जनसँख्या नियंत्रण कानून आदि जैसे प्रस्तावित कानूनों की आहट ने इनकी बौखलाहट में उत्प्रेरक का काम कर दिया | और यहीं से शुरू हुई वो साजिश जिसकी आग में कई दिनों तक देश को जलाया बर्बाद किया गया |
इन तमाम मुद्दों पर बरसों से अपनी दुकानदारी चला रहे छद्म धर्मनिरपेक्षवादी , वामपंथी ,चरमपंथी आदि गुट के तमाम लोगों ने इसमें सामाजिक और वैचारिक रूप से अपने सारे कुटिल दाँव चल दिए | एक एक करके अपने सारे झूठ , षड़यत्रों का पर्दाफाश होते और इसके कारण जनमानस से बुरी तरह दुत्कारे जाने को लेकर ये निराश और कुंठित लोग अपने उसी बरसों पुरानी चाल को चलने पर मजबूर हो गए जिसमें अशिक्षित लोगों को बरगला कर ,उन्हें पैसे देकर और एक अनजाना भय दिखाकर कहा गया -जाओ तुम जला दो सब कुछ ख़त्म कर दो ,नहीं तो ये तुम्हें ख़त्म कर देंगे | याद करिये कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी का वो आह्वान जिसमें उन्होंने सबको सड़क पर उतर कर अपना विरोध जताने को उकसाया था |
पिछले कुछ सालों से ये खास गुट और सोच वाले कुंठित लुंठित लोग ,जिन्हें जनता ने एक नहीं बल्कि दो दो बार सिरे से नकार दिया था | उन्होंने इस नफरत की आग में घी डालने का काम किया और पूरे देश को एक गृह युद्ध में झोंक देने की वो साजिश ,वो षड्यंत्र किया जिसे पिछले कार्यकाल में सरकार ने बिलकुल नाकाम कर दिया था |
इस जनसंहार के लिए षड्यंत्र कितने बड़े पैमाने पर किया गया इसकी बानगी पुलिस तफ्तीश और उससे बाहर निकल कर आ रहे तथ्य बताते हैं | विदेशों से पैसा , हथियार जुटाना , लगातार देश और समाज विरोधी बयानों से द्वेष का माहौल बनाना , पुरस्कारों को वापस करने तथा सार्वजिनक रूप से पत्र लिखकर सरकार पर दबाव बनाना , अपनी चरम पंथी सोच वाले युवाओं , कॉलेजों ,विश्विद्यालयों में नफरत का माहौल तैयार करना , सड़कों चौराहों पर इवेंट मैनेजमेंट की तरह महीनों तक इसकी पटकथा लिखना , और फिर जहरीले भाषणों द्वारा उसे ट्रिगर कर देना ये वो सारे हथियार थे जिन्हें इन दंगों के लिए इस्तेमाल किया गया |
दंगे रुक गए , अशांति भी समाप्त हो गई और इस कोरोना महामारी ने सबको विवश करके घरों में कैद कर दिया ,लेकिन उनका क्या जिनके घर जला दिए गए ,उनका क्या जिनके लोगों ने बेवजह इस सबके कारण अपना सब कुछ खत्म कर दिया | उन रेल की पटरियों ,गाड़ियों ,दुकानों मकानों का क्या जिन्हें इन सबसे कोई मतलब नहीं ,कभी भी नहीं | ये वो प्रश्न हैं जी हमारा आज हमसे पूछ रहा है और कल का भविष्य भी यही पूछेगा की -ये सब क्यों ,किसके लिए ,किसके कहने पर ?????????
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