दिल्ली दंगों की पहली बरसी: समाज में क्या बदला और कैसे बदला?

(newspremi dot com, गुड मॉर्निंग एक्सक्लूसिव: मंगलवार, २३ फरवरी २०२१) ठीक एक साल पहले, २३ फरवरी को दोपहर में ईशान्य दिल्ली में दंगे शुरू...

कविता: मैं दिल्ली हूँ

मैं ज़िंदा लाश बन ,कहीं लावारिस पड़ी हूं।कहीं आख़िरी है साँस बची ,कहीं मौत की गोद में पड़ी हूं।मैं दिल्ली हूं। मालिक मेरे छोड़...

मैं दिल्ली हुँ

शशि थरूर की किताब “मैं हिन्दू क्यों हूँ ” के इस्तेमाल से CAA Protest को Secular रंग देना चाहता था शरजील इमाम : दिल्ली पुलिस

जेहादी सोच का ही परिणाम था कि शर्जील अपने भाषणों में लगातार न सिर्फ हिन्दुओं के विरूद्ध बल्कि देश के विरूद्ध भी अपनी ज़हरीली उल्टियां करता रहा |

इंटेलिजेंस अधिकारी की हत्या वाले दंगों की फंडिग के लिए पूर्व AAP पार्षद ताहिर हुसैन ने खर्च किए थे अपने डेढ़ करोड़ : दिल्ली पुलिस

अरब और तुर्क देशों से कभी सोने के रूप में तो कभी ड्रग्स के रूप में तो कभी हवाला के जरिये पैसे मंगवा कर...

टाइम की प्रभावशाली लिस्ट में शाहीन प्रयोग

देशविरोधी सोच और हिंसा का समर्थन देने वाली किसी सोच को प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल करके टाइम वाले आखिरकार क्या संदेश देना चाहते हैं?

ये पढ़े लिखे जाहिल “ज़िहादी” : नाईक ,इमाम से उमर खालिद तक

तो आखिरकार एक बार फिर से अपनी करतूतों और अपराध के लिए , जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय का पूर्व छात्र नेता , उमर...

कानून नहीं चईये ,पुलिस भी नहीं चइये ये : और “ये वाली किताब” भी नहीं चईये

एक सिनेमा में हीरो का सबसे पसंदीदा डायलाग होता है , “इतनी जल्दी भी क्या है ,अभी तो मैंने शुरू भी नहीं किया है...

दिल्ली दंगों का खलनायक :ताहिर हुसैन

आम आदमी पार्टी का कभी निगम पार्षद (फिलहाल निलंबित) और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का चहेता ,ताहिर हुसैन ही दिल्ली दंगों को उकसाने ,लोगों को...