दिल्ली दंगों की पटकथा लिखने वाले मास्टर माईंड में से एक शरजील इमाम ,जो देश द्रोह , घृणित भाषा से लोगों को उकसाने और मुस्लिमों को हिन्दुओं के विरूद्ध भड़का कर दंगों के लिए उकसाने के अलग अलग कुल सात मुकदमों में जेल की सलाखों के पीछे है |

उसके विरूद्ध हाल ही में दिल्ली पुलिस द्वारा दायर किये गए आरोप पत्र में कई सनसनीखेज़ खुलासे किये गए हैं ,जो ये बताते हैं कि इमाम न सिर्फ अपनी सोच में कट्टर जेहादी सोच रखता है बल्कि , CAA protest में भी उसने जेएनयू की थीसिस से लेकर शशि थरूर की किताब के इस्तेमाल करने का खतरनाक प्रयोग किया था |

उमर खालिद , ताहिर हुसैन और दिल्ली दंगों के अन्य मास्टर माईंड आरोपियों की पुलिस पूछताछ और जांच में ऐसे ऐसे सच कब्र से निकल कर बाहर आ रहे हैं जो बता और दिखा रहे हैं कि , नागरिकता संसोशन कानून के विरोध में खड़ा किया गया शाहीन बाग़ -जिसे इन मुगलियों ने सभी प्रदर्शनों की अम्मी घोषित कर रखा था , उसे जान बूझ कर एक बड़े षड्यंत्र के तहत , CAA के विरुद्ध किए जा रहे हिंसक प्रदर्शनों को मुखौटा पहनाने के लिए किया था |

इन दंगों फसादों को रचने की पूरी योजना बनाने के लिए बनाए गए व्हाट्स एप समूहों के चैट इस बात का प्रमाण दे रहे हैं कि शर्जील ने “हम शशि थरूर की किताब ,मैं हिन्दू क्यों हूँ , को भी शाहीन बाग़ में प्रदर्शन के लिए रख देते हैं ताकि इसे हिन्दुओं के विरूद्ध किया गया विरोध वाली थ्योरी से बच जाएं ” कितने शातिराना तरीके से अपने ईरादों को और हिन्दू वर्ग के प्रति अपनी घृणा को दिल्ली दंगों को भड़काने में प्रयोग किया |

इतना ही नहीं पुलिस ने अपनी जांच में पाया की , ईमाम मज़हबी कट्टरता से किस कदर ग्रस्त था इसका अन्दाजा जेएनयू में उसके द्वारा पढ़ी जा रही किताबों और हिन्दू विरोधी पाठ्य सामग्रियों के मिलने से ही हो जाता है | उसकी थीसिस ही “बँटवारे से पहले मुस्लिमों का निष्क्रमण : 1946 में बिहार में मुस्लिमों पर हुए हमले ” इस पुस्तक पर की जा रही थी | इसमें जिस सहायक पुस्तक पर वह शोध कर रहा था वो पॉल आर ब्रास की पुस्तक ” आधुनिक भारत में सामूहिक दंगों ,हिंसा और नरसंहार का स्वरूप ” थी | ये किताब भारत में पिछले साठ सालों में हुए दंगों , और नरसंहार के तरीकों और प्रभावों का उल्लेख करती है |

अपनी इन किताबों और कट्टर सोच वाली शिक्षा से बनी जेहादी सोच का ही परिणाम था कि शर्जील अपने भाषणों में लगातार न सिर्फ हिन्दुओं के विरूद्ध बल्कि देश के विरूद्ध भी अपनी ज़हरीली उल्टियां करता रहा | यहाँ तक कि उसने असम को भारत से काट कर अलग किये जाने के लिए मुस्लिमों को क्या और कैसे करना है ये भी अपनी भड़काऊ तकरीरों में किया |

उसने मुस्लिमों को ये कह कर डराने का प्रयास किया कि , नागरिकता संशोधन कानून के प्रभाव में आने के बाद करोड़ों मुस्लिमों को डिटेंशन सेंटर में डालने के लिए सरकार बहुत बड़े पैमाने पर उनका निर्माण करवा रही है , और पहले से ही बने ऐसे सेंटरों में मुसलमानों को जानवरों की तरह रखा जा रहा है | जबकि ये सरासर झूठी अफवाह थी जिसे ,अनपढ़ लोगों बरगलाने के लिए प्रयोग किया गया |

अब इन सब के पर्दाफाश होने से ये अंदाज़ा लगाना बहुत सहज हो जाता है कि यदि कोरोना की महामारी न आई होती तो ये शाहीन बाग़ के बुर्कों में छिप कर जाने कितने ही ऐसे दंगों के षडयन्त्र को रच कर देश और समाज को अपनी मज़हबी कट्टरता की आग में झोंक रहे होते |

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