भारत में रहने वाले असंख्य हिंदू और विदेशों में रहने वाले थोड़े से हिंदू में कभी-कभी यह स्मरण अभाव हो जाता है या फिर स्मृति पटल में ऐसी विकृति आ जाती है कि वो भूल जाते है की वो दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता संस्कृति और धर्म के परंपरा से है। जी हां आपकी परंपरा दुनिया की सबसे प्राचीन परंपरा है।
कभी सोचिए कुछ ऐसे ही सभ्यताएं थी, मिस्र की, ग्रीस की, मेसोपोटामिया की, और फारस की , लेकिन आज वो समाप्त हो चुकी है.
आप हिन्दू को कम से कम अपने पूर्वजों और हिन्दू समाज के प्रति इस पुण्य काम से लिए तो ज़रूर ही कृतज्ञ होना चाहिए।
क्या हम वास्तव में कृतज्ञ हैं ? क्या हमारी समाज इन मान्यताओं को मानती है ? क्या हम अपने पूर्वजों और अपने वीरों को नमन करते हैं ? क्या हम वास्तव में ऋणी हैं ?
सतही तौर पर जरूर करते हैं लेकिन जितनी करनी चाहिए उतनी कदापि नहीं करते है। आज जो इन मान्यताओं से परे हो कर हिन्दू धर्म का उपहास करते है उस समूह को झूठा धर्म निरपेक्ष वादी कहा जा सकता है।
एक दौर था. विदेशी आक्रमणकारी भारत की पवित्र धरती पर आते थे. लूट पाट, नरसंहार और खून की नदियां बहती थी। संघर्ष के दिन थे। कितनी निस्वार्थ से वीरो ने अपनी प्राण त्याग दिए होंगे. जो शेष बच गए उनकी संतान हम है।
जो उस धर्म युद्ध में हार गए वो गुलाम बन गए। उनकी नश्लों को गुलाम बना दिया गया। उनकी सभ्यता संस्कृति और धर्म सब समाप्त हो गए. आज वो विधर्मी है।
अफग़ानिस्तान पाकिस्तान बांग्लादेश इंडोनेशिया में हमारे वो अभागे भाई बहन है. जिनकी पूर्वजो तो स्वजन ही थे लेकिन समय के मार ने गुलाम कर दिया. आज इन के संतान शांति और विकास की बात नहीं कर पाते है। अंधकार भविष्य से ग्रसित समाज है आज इनका। अशांति और अभाव की गुलामी के बंधन में अभी भी बंधे है।
सब कुछ समाप्त कर दिया। शायद हिंदुओं को इस बात की स्मरण अब नहीं रही की उस दर्दनाक दौर से निकल कर हम आज इधर आये है। आज हिन्दू समाज का एक वर्ग झूठा धर्म निरपेक्ष वादी हो गया है. इनको नहीं मालूम लाहौर अमरकोट नोआखली और मुज़फ्फरबाद की कहानी। कोई नहीं बचा था। अमीर हिन्दू और गरीब हिन्दू , दोनों एक साथ कटे थे। औरतों का बलात्कार और बच्चों की हत्या अमानवीय थी। धर्म से दूर जायेंगे तो इतिहास साक्षी है। ..अंत मार्मिक और दर्दनाक हुआ है।
क्यों भूल गए। आज के दिन कश्मीर में हिन्दू सात लाख हिन्दू अपने देश में ही शरणार्थी बन गए। असंख्य हत्या बलात्कार की कहानी का यह प्रतिफल था। कश्मीर की घटना के बाद भी कैराना और मेवात में ऐसे घटना होती रही है।
धर्म से दूर जायेंगे तो इतिहास में दफ़न हो जायेंगे। झूठा धर्म निरपेक्ष वादी बन कर क्यों अपने आप को लज्जित करते है। शत्रु चारों तरफ है, आखे खोल कर देख ले , शायद आपकी पीढ़ी सुरक्षित हो लेकिन क्या आपकी आने वाली पीढ़ी सुरक्षित रहेगी। कभी सोचा आपने।
झूठा धर्म निरपेक्ष वादी, कम से कम अब तो आँख खोल लो। अपने सभ्यता संस्कृति और धर्म के लिए उसके मूल्य के लिए सजग हो जाओ। एक रहेंगे, संगठित रहेंगे, और एकत्रित रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे।
अन्यथा आने वाली पीढ़ी आपसे भी वही सवाल करेगी जो आज कश्मीर के संतान करती है। उत्तर सामने पटल पर लिखा है। फिर शिकायत नहीं करना लेखक ने समय से आगाह नहीं किया था।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.