जय हिन्द।
जय जवान -जय किसान। बचपन से , ये न सिर्फ ये पढ़ते समझते हुए बड़ा हुआ हूँ बल्कि खुद महसूसता हुआ आया हूँ और सौगंध है हिन्दुस्तान की मेरे जैसा ही हर फौजी या तो खुद किसान है या किसान परिवार से है। इन्हीं कधों पर जिनपर हम बन्दूक और मिसाइलें लिए सरहद पर दहाड़ रहे होते हैं यही कंधे छुट्टियों में हल भी उठाते रहे हैं। आज किसान और उनके नाम पर कुछ अपने ही देश वासी उनके साथ सड़कों पर खड़े हैं , राजधानी दिल्ली को घेर कर अड़े हुए हैं।
सियासी बातों से हमें कभी कोई सरोकार नहीं होता , वो हमारे सिलेबस में नहीं होता हमारा एक ही धर्म और एक ही ईश्वर होता है वो है राष्ट्र धर्म , हिन्द और हिन्दुस्तान की मिटटी। और इसी हिन्दुस्तान की आन बान और शान का प्रतीक है गणतंत्र दिवस यानि 26 जनवरी।
हम फौजियों के लिए सज संवर कर अपने आयुधों , पराक्रम ,उपलब्धियों , सौष्ठव और शक्ति के सार्वजनिक प्रदर्शन से अपने देश वासियों को उनकी पूरी सुरक्षा और संरक्षण के प्रति आश्वस्त करने और दुःसाहसी पड़ोसियों समेत पूरी दुनिया को भारत की सामरिक शक्ति का परिचय देने का अवसर। हम ही क्यों , देश भर के वो नौनिहाल बच्चे , राष्ट्रीय कैडेट कोर , बचपन में ही पराक्रम का परिचय देने वाले वीर बालक सहित पूरे देश भर के सास्कृतिक कलाकार सभी इस दिवस के लिए प्रतीक्षारत होते हैं।
ये दिन दुनिया को हमारी तोपें ,मिसाइल दिखाने का दिन है , तिरंगे के मान का दिन है , हम फौजियों की कदम ताल ,परेड का दिन है , हम सब फौजियों को अपने परिवारों के बीच गौरवान्वित होते देखने का दिन है और यही दिन , एक यही दिन आप सब नहीं छोड़ सकते अपनी पिछले दो महीने से चल रही ,हड़ताल आंदोलन में से। उलटा आप अपने ट्रैक्टर चलाएंगे।
किसान जी , थोड़ा तो सोचिये। किसान का ट्रेक्टर खेतों में सबसे ज्यादा खूबसूरत लगता है जैसे माँ के गोद में बच्चा , आप लाख उस बच्चे को सजा संवार कर गली में सड़क पर घुमाएं , वो बात कहाँ। अब भी बहुत समय है नहीं तो कैसे ये दिल कह सकेगा
जय जवान -जय किसान
जय हिन्द। जय भारत।
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