आज नेताजी सुभाषचंद्र बोझ का १२५वां जन्मदिन है। आज़ाद हिन्द फ़ौज के स्थापक नेताजी का आत्मविश्वास गजब का था !
जब नेताजी हिटलर को पहली बार मिलने जर्मनी गए तो, हिटलर के आदमियों ने उन्हें बाहर प्रतीक्षा हॉल में बैठा दिया।
नेताजी उसी दौरान बैठे-बैठे किताब पढ़ने लगे। थोड़ी देर बाद एक आदमी आया (जो कि हिटलर का हमशक्ल था।) और नेताजी के साथ बात कर के चला गया। नेता जी ने कोई भाव व्यक्त नहीं किया।
थोड़ी देर के बाद दूसरा आदमी हिटलर के वेश में आकर नेताजी से हिटलर बन कर बात की। नेताजी ने उसे भी कोई भाव नहीं दिया।
इस तरह एक के बाद एक कई बार हिटलर के वेश धारण कर के उनके हमशक्ल आकर खुद को हिटलर बता बात करते रहे लेकिन, नेताजी फिर भी बैठे-बैठे किताब पढते रहे…
(जबकि, आम तौर पर दूसरे लोग हिटलर के हमशक्ल को मिलते ही, खुद हिटलर को मिलके आए हैं। ऐसे भ्रम में वापस लौट आते थे।)
आखिर में, खुद हिटलर आया और आते ही हिटलर ने नेताजी के कंधे पर हाथ रखा नेताजी तुरंत बोल उठे, “हिटलर”….!!!!
हिटलर भी आश्चर्य में पड़ गया और नेताजी से पूछ बैठा कि, “इतने सारे मेरे हमशक्ल आए फिर भी आप मुझे कैसे पहचान गए? जब कि हमारी पहले कभी कोई मुलाकात नहीं हुई…”
तभी नेताजी ने जवाब दिया कि, जिसकी आवाज़ से ग्रेट ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भी कांपते हैं। उस सुभाष चंद्र बोस के कंधे पर हाथ रखने कि गुस्ताखी इस दुनिया में सिर्फ हिटलर कर सकता है, दुसरा कोई नहीं ..और ना हिटलर का कोई आदमी।
तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” का नारा बुलंद करने वाले भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के महानायक, आजाद हिन्द फौज के संस्थापक, भारत रत्न, देश प्रेमियों के प्रेरणास्रोत नेताजी सुभाषचंद्र बोझ जी के जन्मदिन पर उन्हें सादर नमन।
मां भारती की आजादी में उनके संघर्ष व बलिदान का देश सदैव ऋणी रहेगा।
जय हिंद वंदे मातरम
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