एक तरफ 41 साल बाद भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जापान के मैदान पर इतिहास रच कर पूरे देश को गर्व महसूस कराया तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बिना देर किये हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को आज सही मायने में वो हक और सम्मान दिया जिसके वो हकदार थे. मोदी सरकार ने अब देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार के नाम से राजीव गांधी का नाम हटाकर हॉकी के जादूगर के नाम पर ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ करने का है। 41 साल बाद हॉकी में भारत के ओलिंपिक मेडल जीतने से अच्छा भला क्या मौका हो सकता था। यानी मौका भी है, दस्तूर भी।

पीएम मोदी ने ट्विटर पर किया ऐलान
पीएम मोदी ने ऐलान किया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम अब मेजर ध्यानचंद के नाम पर होगा। पीएम ने कहा कि मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेल रत्न पुरस्कार का नाम रखने के लिए देश भर के नागरिकों से अनुरोध मिल रहे हैं। उनकी भावना का सम्मान करते हुए खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाएगा।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि तोक्यो ओलिंपिक में हॉकी टीम ने पूरे देश को गर्व का मौका दिया है। पूरे देश में चक दे इंडिया की धूम है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हॉकी टीम को देशवासी बधाई दे रहे है, हो भी क्यों ना, पीढ़ियों बाद टीम ने ओलिंपिक मेडल पर कब्जा जमाया है। प्रधानमंत्री मोदी अक्सर ऐसे फैसले ले लेते जो लोगों को चौंका देते हैं. अपने इस फैसले से पीएम मोदी ने एक बार फिर ये बात साबित कर दी है ..हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेल रत्न अवॉर्ड करने के साथ ही पीएम ने विपक्ष की भी बोलती बंद कर दी.

भारत में क्रिकेट को लेकर लोगों की दीवानगी किसी से छिपी नहीं है , क्रिकेट का नशा सभी खेलों पर भारी पड़ता था, लेकिन जिस जोश और जज्बे से ओलंपिक में सभी खेलों में हमारे देश के खिलाड़ी प्रदर्शन कर रहे हैं वो वाकई काबिले तारीफ है. जिसे देखकर भारत में और खेलों के बेहतर भविष्य की तस्वीर भी दिखती है.

मेजर ध्यानचंद को महानतम हॉकी खिलाड़ी माना जाता है। हॉकी के इस जादूगर ने अपने 1926 से 1949 तक के करियर के दौरान 1928, 1932 और 1936 में ओलंपिक का शीर्ष खिताब हासिल किया था। उनकी जयंती के मैके पर 29 अगस्त को देश का राष्ट्रीय खेल दिवस भी मनाया जाता है। इस बीच पीएम मोदी के इस ऐलान के बाद कईयों ने पीएम के फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया की खेल पुरस्कारों के नाम खिलाड़ियों के नाम पर रखे जाने चाहिए। आज वाकई में सही मायने में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जन्मे मेजर ध्यानचंद को सम्मान मिला है। लेकिन एक विडंबना ये भी है कि हॉकी का परचम पूरे विश्व में लहराने वाले मेजर ध्यानचंद को अब तक भारत रत्न नहीं दिया गया ।

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