लोग चले जाते हैं।
वे छोड़ देते हैं, सब लोग जानते हैं।
मैं भी ये बात जानता हूँ।
इसलिए ऐसा नहीं था जब उन्होंने चले जाने की बात की तब सबसे ज्यादा दुख हुआ। उनके आने से पहले ही मैं लोगों को छोड़ के जाने का आदी था।
लेकिन यह एकदम अलग है , वो तब जा रहे हैं जब उनकी सबसे ज्यादा ज़रूरत है , अन्य सभी से अलग।
यह तब है जब जीवन के ऐसे मोड़ पे खड़े हैं जहां से सिर्फ दो रास्ते मिलेंगे सही और गलत, लेकिन मेरा सही उनके लिए गलत,उनका सही मेरे लिए गलत , हम इसी में उलझ के रह गए हैं। रिश्ते बनाना बहुत आसान है लेकिन उसे एक खुशहाल रिश्ता बनाये रखना बहुत मुश्किल होता है.
मन में तो दोनों तरह की अनुभूतियां हैं , एकदम दृढ़ निश्च्य से कही गयी बातें कि ‘जीवन भर साथ रहना हमारे भाग्य में नहीं है तो क्या हुआ फिर भी हम सदा एक दूसरे के लिए खड़े रहेंगे , परिस्थिति कुछ भी हो एकदूसरे के साये की तरह रहेंगे’ ये सोचकर ही सिहरन रीढ़ की हड्डी से होते हुए दिमाग तक को रोमांचित कर देती है कि कोई इतना समर्पित कैसे हो सकता है ।
फिर वर्तमान स्थिति से सामना होते ही जमीनी सच्चाई दिखती है कि अब आप सारे अधिकार खो चुके हैं, जीवन में कोई स्थान नहीं बचा आपके लिए तब यह सामान्य से ज्यादा पीड़ादायक हो जाता है।
कुछ चीजें हैं जो हमारे नियंत्रण से परे होती हैं।
यहां तक कि अगर आपके पास उस परीस्थिति से लड़ने की ताकत भी है, फिर भी आपको इस कठोर सत्य को स्वीकार करना पड़ता है कि जिनके बिना आप नहीं रह सकते हैं, आपके बिना वे रह सकते हैं
किसी भी रिश्ते में आप नकारात्मक परिस्थितियों को कैसे देखते हैं और कैसे संभालते हैं, यह आपके जीवन, सफलता और खुशी पर भारी प्रभाव डालता है.
अच्छे संबंधों में ये ज़रूरी है कि आप अपने रिश्ते की तुलना कभी भी किसी और से न करें ।
सिर्फ गलतियां निकालने से बचें,व
अपनी अपनी गलती पर विचार करें और सुलझाने की कोशिश करें
और सबसे अहम बात , सच्चाई में यकीन रखें खुद से कयास लगाने से गलतफहमी पैदा होती है और ये बहुत ही हानिकारक है।
ये सारी मेरी ही गलतियां हैं जिनसे सीख लेकर उस दिशा में सकारात्मक बदलाव की ओर तेज़ी से बढ़ रहा
वैसे तो मैं गतिशीलता का पक्षधर हूँ, कि ‘अपनी लय में रहो,स्थिति तुम्हारे हिसाब से बदल जाएगी’ लेकिन कभी कभी खुद का भी मूल्यांकन करना और आवश्यक बदलाव लाना पड़ता है ।
– ” जो भी नाम है मेरा”
और फिर फ़ैज़ साहब लिख गए हैं उम्मीदें देते हुए –
“कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी
सुनते हैं वो आएँगे सुनते हैं सहर होगी”
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