भैंसा में हुए सांप्रदायिक दंगों पर पूरे देश में नाराजगी का माहौल है। भैंसा में निरंतर हिन्दुओं पर हो रहे हमलों को रोकने में तेलंगाना सरकार व राज्य की पुलिस पूरी तरह से नाकाम सिद्ध हो चुकी है। गौरतलब है कि भैंसा आतंकियों व पृथकतावादियों का अड्डा बन चुका है, लेकिन सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। 


भैंसा में किये गये हमलों के पीछे मजलिस पार्टी और AIMIM के होने के आरोप लगाये जा रहे हैं। सरकार को चाहिए कि आरोपों की गहन जाँच करवाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे। भैंसा में दो धार्मिक समूहों के बीच रविवार शाम सांप्रदायिक झड़प हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप दो घरों और नौ वाहनों को आग लगा दी गई थी। पथराव में कुछ पत्रकारों और पुलिसकर्मियों सहित 10 लोग घायल हो गए। पुलिस ने बाद में कहा कि हिंसा दो व्यक्तियों के बीच एक बाइक दुर्घटना पर बहस के बाद हुई, जो बाद में दो धार्मिक समूहों के बीच लड़ाई में बदल गई और पूरे शहर में फैल गई।

आरोप लगाया गया कि भैंसा में हिंदू हिंसा के पीड़ित थे, भाजपा के कई नेताओं ने भैंसा का दौरा करने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। 

भाजपा सांसद सोयम बापू राव और धर्मपुरी अरविंद को पुलिस ने मंगलवार को हिरासत में ले लिया। अरविंद को घर में नजरबंद कर दिया गया था, लेकिन बापू राव, जो निर्मल के रास्ते में थे, को बलकोंडा में हिरासत में लिया गया था। हिंसा को लेकर गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को हिंसा के बारे में लिखा है।

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