19 मार्च 2021 ,Dr Shyam joshi (Twitter :- @Dr_ShyamJoshi)
उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat jeans) ने कहा कि औरतों को घुटने के पास फटी जींस पहने देखकर हैरानी होती है। ऐसी महिलाएं बच्चों के सामने ऐसे कपड़े पहनेंगी तो उन्हें क्या संस्कार देंगी।
अब बात महिलाओं की थी तो सही थी या गलत थी ये कौन सोचता बस आजकल एक ट्रेंड चल रहा है,औरत जो करे सही करे,जो कहे सही कहे।
हजारों की संख्या में पत्रकार,राजनेता,बोलीवुडी कूद पड़े “जींस नही तुम्हारी सोच फटी हुई है”
चलो पहले 2 उदाहरण दिखाता हूं :-
दिसंबर 2014 हरियाणा में बस में 2 सगी बहनों ने 3 लडको की पिटाई की और वीडियो बना कर वायरल दिया,सभी प्रिंट और डिजिटल मीडिया ने भी खबरें चलाई, खूब इंटरव्यू लिए “बहादुर बहनों ने की मनचलों की पिटाई”
तब के हरियाणा मुख्यमंत्री जी ने तो लाखो के पुरस्कार तक दे दिए ,मामला जब कोर्ट में पहुंचा तो पता चला की उन लड़को ने छेड़छाड़ नहीं की बल्कि विवाद सीट को लेकर हुआ था तीनो लड़के सीट पर बैठे थे उनमें से एक लड़का टिकिट के लिए नीचे गया तो दोनो बहने आकर सीट पर बैठने लगी तो लडको ने बोला टिकिट के लिए गया है आ रहा है, जिस पर लड़कियों ने दादागिरी दिखा नारीशक्ति का परिचय देते हुए लडको को पीट कर सीट हथिया ली और खुद वीडियो बना कर छेड़छाड़ का बता वायरल कर दिया और लडको से सेटलमेंट के नाम पर पैसे मांगे…पता चला ये लडकिया प्रोफेशनली ब्लैकमेलर थी जो पहले भी पार्क में एक लड़के को पीट कर और भी लोगो को वीडियो वायरल करने का ब्लैकमेल कर लाखो लूट चुकी थी।
जब तक जांच पूरी हुई तब तक देर हो चुकी थी, उनमें से एक लड़का सरकारी नौकरी में चयनित था,जिसपर केस लगने की वजह से उसका चयन रद्द हो गया,बाकी दो की पढ़ाई खराब।
अब दूसरा उदाहरण हाल ही में एक रेडियो जॉकी का है एक महिला आरजे जेंट्स टॉयलेट में घुस कर चुपके से एक पुरुष वर्कर के साथ प्रैंक करती है, जो उस समय टॉयलेट कर रहा होता है।
अब कल्पना कीजिए कोई पुरुष महिलाओं के टॉयलेट में घुस कर टॉयलेट करती महिलाओं के साथ प्रैंक करे तो ???
अब ये उदाहरण देने का मकसद क्या है ?
दोनो ही उदाहरणों में महिला गलत थी पर कोई उन्हें गलत नहीं कहता ,और अगर कोई कहता भी तो उसे ये बोल कर गालियां दी जाती की तुम महिला विरोधी सोच के हो।
एक अच्छी लेखिका है जिनके में कभी कभी आर्टिकल पढ़ता हुं,वो कहती है मेरी मर्जी में फटी हुई जींस पहनूं या स्कर्ट।
आज तक ये लगता था की शायद वो सही को सही और गलत को गलत लिखती है पर अब वो क्लियर हो गया की आखिर वो किसी दूसरे ग्रह से तो आई नही..और इस ग्रह पर महिला कभी गलत हो ही नहीं सकती, हां आपकी मर्जी जो पहने ये तय करने वाला कोई नहीं पर ये भी सही है की आप एक अच्छी सस्कृति की परिचायक तो कभी नहीं लगेगी भले आप कितनी भी बुद्धिमान क्यों ना हो।
प्रियंका वाड्रा एक ट्वीट करती है जिसमे आरएसएस के कार्यकर्ताओं की निक्कर में तस्वीर शेयर करती है और कटाक्ष करती है, एक सवाल प्रियंका जी से है अगर कपड़ो और संस्कारो का सरोकार नहीं है तो एक बार चुनाव प्रचार में फटी हुई जींस पहन कर कोशिश करके देख लो नतीजा अभी से कही बुरा होगा,क्यों आपको चुनाव में सभ्य दिखने के लिए साड़ी पहनी पड़ती है जबकि कपड़ो में तो डेढ़ फुट का निक्कर भी आता है जिसके जेब तक बाहर लटके रहते है..कोशिश कीजिएगा कभी।
शब्द कड़वे है पर सच है ..अगर बिना वस्त्रों के घूमना, फटे हुए वस्त्र पहनना आधुनिकता का द्योतक है तो फिर वो सारे जीव जो बिना कपड़े घूमते है,वो तो फिर शायद इस ग्रह के सबसे ज्यादा बुद्धिमान और आधुनिक जीव होंगे।
अरे आजकल तो लोग घर में पाले हुए कुत्ते बिल्ली को भी कपड़े पहनने लगे है समझ नही आता इंसान क्यू जानवरों की तरह नंगा होता जा रहा है।
अब कुछ महान विचारक ये बोलेंगे संस्कार अंदर से होते है कपड़ोंसे क्या मतलब :-
संस्कार का पहनावे और वातावरण से बहुत गहरा रिश्ता है
आप भगवा धोती कुर्ता पहने साधु व्यक्ति को देख सर झुका राम राम कह लेते हो
आर्मी और खाकी पहने को देख देश के लिए सम्मान जाग जाता है
वही एक बस स्टैंड पर खड़े लड़के जिनसे फूल पत्ती वाला शर्ट कॉलर चढ़ा कर पहना है,बाजू खुले है गले में रुमाल लटका रहा है..लड़किया उसको देख कर ही दूर हो जाती है की टपोरी है…दूर रहो इससे।
अब उन लड़कियों को किसने बताया कि वो गुंडा है टपोरी है ? उसके पहनावे ने ।
जब ये नियम आप स्त्रियां सब पर लागू करती है तो खुद पर क्यू नही ?
और इनको समझ में भी नही आयेगा क्युकी खुद को आधुनिक समझती महिलाओं ने हमारी मां,दादी या वीर वीरांगनाओं को कभी अपना आइडियल माना ही नही,
वो आइडियल मानते है घटिया और अश्लीलता से भरे बोलीवुड़ी भांडो को जो आधुनिकता के नाम पर नग्नता परोशते है और हम मजे लेकर उसे अपनाते है।
वो आइडियल नहीं मानती मां सीता को..वो आइडियल मानती है मातृत्व को सुख न समझ व्यापार बना कर फोटोशूट करवा करोड़ों कमाने का साधन बनाने वाली नौटंकी वालियों को।
सीधा सवाल सीधा जवाब :- अगर नग्नता आधुनिकता और तुम्हारी बुधमत्ता है तो वो सभी जीव जंतु बिना कपड़े घूमते है आपसे हमसे कही ज्यादा बुद्धिमान और आधुनिक होंगेे।
कहते है जो खाना हमारे शरीर के लिए अच्छा होता है वो स्वाद में अच्छा नहीं होता,तो सच भी ठीक वैसा ही होता है
चाहे स्त्री हो या पुरुष उसे अपने कपड़े चुनने के लिए कोई बाध्य नही कर सकता,आपको अधिकार है जो मर्जी पहनने,जब भी हम नए कपड़े पहनते है तो किसी न किसी को जरूर पूछते है में कैसा लग रहा हूं या कैसी लग रही हूं तो मान कर चलिए ऐसे कपड़ो से न आप सुंदर लग रहे, ना स्वतंत्र, ना आधुनिक, ना ही बुद्धिमान और न ही संस्कारी।
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