भारत की आजादी के महान सपूतों में से एक वीर सावरकर की शनिवार को 139वीं जयंती मनायी जा रही है. इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी जयंती पर उन्हें आदरपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की . विनायक दामोदर सावरकर को हिंदुस्तान में हिंदुत्व का सबसे बड़ा पैरोकार माना जाता है. उन्होंने एक किताब लिखी थी, ‘हिंदुत्व: हू इज हिंदू?’ इसमें उन्होंने पहली बार हिंदुत्व को एक राजनीतिक विचारधारा के तौर पर इस्तेमाल किया था.
देश की आजादी में वीर सावरकर का जो योगदान था उसे आजादी मिलने के बाद जवाहरलाल नेहरू युग में वामपंथी इतिहासकारों ने देश से छिपा कर रखा. लेकिन वीर सावरकर जैसे सपूत का योगदान, देश के लिए दी गई उनकी कुर्बानी आखिर कब तक देश से छिपती. ऐसे में देश के समाने आये एक ऐसे शख्स जिन्होंने वामपंथियों की बखिया उधेड़ दी. जिन्होंने अपनी रिसर्च और अपने वक्तव्य से पूरे ऐतिहासिक जगत में त्राहिमाम मचा दिया है। वामपंथियों के रातों की नींद उड़ा रखी है, उनका नाम है विक्रम संपत .
विक्रम संपत जी की मेहनत का ही नतीजा है कि आज वीर सावरकर पर बॉलीवुड में फिल्म बना रही है, कल तक जिस बॉलीवुड के नायक गांधी और नेहरु हुआ करते थे आज उसी बॉलीवुड ने वीर सावरकर को अपना हीरो बनाया है. दरअसल शनिवार को वीर सावरकर जी की जयंती के मौके पर उनके जीवन पर बन रही फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर का पहला लुक रिलीज किया गया . इस फिल्म में रणदीप हुड्डा वीर सावरकर की भूमिका निभा रहे हैं।
रणदीप हुड्डा ने अपने ट्विटर अकाउंट से 30 सेकंड का एक मोशन पोस्टर शेयर किया है । इसमें फ्रंट में वीर सावरकर के रूप में खुद रणदीप हुड्डा की तस्वीर है और बैकग्राउंड में ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा…’ की म्यूजिक बज रही है। अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा:
A salute to one of the tallest unsung heroes of India’s struggle for freedom & self-actualisation. hope I can live up to the challenge of filling such big shoes of a true revolutionary & tell his real story which had been brushed under the carpet for so long#VeerSavarkarJayanti pic.twitter.com/EaiDWQyeLZ
— Randeep Hooda (@RandeepHooda) May 28, 2022
“स्वतंत्रता और आत्म-बोध के लिए भारत के संघर्ष के सबसे गुमनाम नायकों में से एक को सलाम। आशा करता हूं कि एक सच्चे क्रांतिकारी के पदचिन्हों पर चलने की चुनौती पर खरा उतर कर उनकी असली कहानी बता सकता हूँ, जिन्हें इतने लंबे समय तक दबा कर रखा गया था। #VeerSavarkarJayanti”
दरअसल ‘द कश्मीर फाइल्स’ के साथ ही भारतीय सिनेमा में राष्ट्रीयता की एक नई लहर दिखने लगी जिसमें अब देश के उन नायकों को दिखाया जा रहा है जिनका नाम सुनते ही आज भी कई वामपंथी त्राहिमाम कर उठते हैं उन्हीं में से एक नाम है विनायक दामोदर सावरकर का. वीर सावरकर ने कभी भी वामपंथ को बढ़ावा नहीं दिया इसलिए वामपंथी इतिहासकारों ने उनके योगदान को दबाने की पूरी कोशिश की. वामपंथी इतिहासकारों के दिल में कभी भी वीर सावरकर के लिए न तो प्रेम ना ही किसी तरह की दया थी ।
जल्द ही वीर सावरकर का सिल्वर स्क्रीन पर आगमन होने वाला है वहीं कई वामपंथियों के रातों की नींद भी उड़ने वाली है है। वाकई ये बॉलीवुड में बदलाव का दौर है. भारत की सियासत के साथ सिनेमा भी बदल रही है.
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