एक सेक्युलर देश के रूप में यूरोप में फ्रांस का उदाहरण दिया जाता है । दूसरे महायुद्ध के उपरांत फ्रांस ने शरणार्थियों के लिए अपनी सीमा खोल दी थी । अब फ्रांस में जो दंगे हो रहे हैं, वे अचानक नहीं हो रहे हैं; अपितु यह 30 से 40 वर्षाें की तैयारी है । आज फ्रांस के नागरिक फ्रांस पर थोपी गई धर्मनिरपेक्षता की असफलता के भयानक परिणाम भुगत रहे हैं । यूरोप के अन्य देश अब सतर्क हो गए हैं । जो फ्रांस में हुआ वह कहीं भी हो सकता है । आज भारत में अवैध पद्धति से रोहिंग्या एवं बांगलादेशी मुसलमानों को अनेक स्थानों पर बसाया जा रहा है । उन्हें रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है । इन घुसपैठियों के संदर्भ में यदि भारत सरकार ने कठोर कदम नहीं उठाए तो भारत का भी हाल फ्रांस समान हो जाएगा, ओडिशा, भुवनेश्वर के ‘इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज’ के संयोजक तथा अध्येता श्री. अनिल धीर ने ऐसे संकेत दिए हैं । हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘क्या फ्रांस की आग भारत तक आएगी ?’ इस विषय पर ‘ऑनलाईन’ विशेष संवाद में वे ऐसा बोल रहे थे ।
इस अवसर पर श्री. धीर आगे बोले, पोलैंड एवं जापान ने आरंभ से ही अवैध घुसपैठ नहीं होने दी । ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड भी इसी के लिए प्रयास कर रहे हैं । हिंसा के उपरांत अब फ्रांस वहां कठोर कानून लागू करने के लिए प्रयत्नशील है । इस स्थिति से भारत को सीख लेनी चाहिए तथा अवैध घुसपैठ एवं निवास के संदर्भ में देश में कठोर कानून लागू करने चाहिए ।
इस अवसर पर ‘विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. विनोद बंसल ने कहा कि वर्तमान में फ्रांस में दंगे करवाए जा रहे हैं । अल्पसंख्यकों का पहले से ही ‘ग्लोबल पैटर्न’ रहा है । प्रथम शरणार्थी बनकर जाना, तत्पश्चात वहां की संस्कृति, धरोहर एवं ऐतिहासिक वास्तु नष्ट कर वहीं के लोगों को शरणार्थी बनाना तथा वहां ‘दार–उल–इस्लाम’ का राज्य लाना । कुछ वर्ष पूर्व भारत में भी अवैध पद्धति से आए रोहिंग्या मुसलमानों से ऐसा ही संकट है । आज भारत में अनेक ‘मिनी पाकिस्तान’ निर्माण हो गए हैं । कुल मिलाकर भारत विरोधी शक्तियों को विफल करने के लिए समाज को एकत्रित आकर शासन की सहायता करनी होगी ।
इस अवसर पर जर्मनी की सुप्रसिद्ध लेखिका मारिया वर्थ ने कहा कि वर्तमान में फ्रांस में हुए दंगे पूर्व नियोजित थे । फ्रांस एवं विविध देशों के राजकीय नेता दंगे एवं हिंसा करने के लिए शरणार्थी मुसलमानों का उपयोग करते हैं; मात्र फ्रांस में शरणार्थी मुसलमानों द्वारा किए जा रहे दंगों का समर्थन करने की आवश्यकता नहीं । कुल मिलाकर फ्रांस की स्थिति को देखते हुए भारत को बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता है ।
श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.