चलिए भाई , गुरुग्राम पुलिस को शाबासी देना तो बनता है कि उन्होनें कम से कम गलत का विरोध करने वालों के साथ ही मारपीट तो नहीं कि ,जैसा कि उत्तराखंड पुलिस ने अभी दो दिन पूर्व टिहरी पर अवैध रूप से बनाए गए मस्जिद को हटाए जाने की माँग कर रहे युवकों के साथ किया । गुरुग्राम पुलिस ने सच्ची धर्मनिरपेक्षता निभाते हुए एक नई जगह का ईजाद कर दिया जिसका नाम रखा गया है -नमाज स्पॉट ।

असल में गुरुग्राम में एक सार्वजनिक स्थल पर मज़हब का हक अता करने के लिए विशेष लोग इबादत के लिए एकत्रित होने लगे तो स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया और पुलिस के सामने सारी शिकायत रखी । पुलिस ने फिर एकदम बढ़िया सा कम्युनल हॉर्मोनिकल लिबरल हर्बल सा रास्ता निकाल कर बाकायदा इसको टविटरा भी दिया ।

ट्वीट का लिंक यह है

https://twitter.com/gurgaonpolice/status/1442358060094091271

अब यहाँ कुछ सवाल हैं जो लोगबाग उठा रहे हैं

सार्वजनिक स्थल उपयोग कानून व निर्देश के किस नियम कानून के तहत ये कहा गया ,किया गया ??

सार्वजनिक स्थानों पर प्रसाधन , चिकित्सा ,मनोरंजन ,प्रदर्शन के लिए भी नियत स्थान और निर्देश जब नियमानुसार ही तय किए जाते हैं तो फिर इस तरह से इबादत , प्रार्थना ,कव्वाली ,कीर्तन सबके लिए भी कल को उठाई जाने वाली माँग के विषय मे क्या योजना है ??

क्या इन स्पॉट में सड़क ,गली ,या आवागमन के किसी भी विकल्प को भी शामिल किया गया है /जा सकता है

क्या सिविक संस्थाओं में सिर्फ पुलिस के पास ये अधिकार है कि वो किसी भी सार्वजनिक स्थल को नमाज स्पॉट के रूप में नियमित उपयोग की स्वीकृति दे सके ???

सवाल और भी बहुत से हैं , मामला तूल पकड़ चुका है

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