समसामयिक

फटी जिंस पर चर्चा

भय, निद्रा, मैथुन, आहार , यह चार गुण लगभग सभी पशुओं में पाए जाते हैं और हर मनुष्य में भी स्वाभाविक रूप से भय निद्रा मैथुन आहार की आवश्यकता रहती है ।

कपड़ा , मकान , कार , सड़कें , अस्पताल इत्यादि वस्तुएँ हमें पशुओं से अलग करती हैं ।

कुछ पशु घोंसला , डेन या अपने रहने छुपने का स्थान बनाते हैं पर कपड़े की आवश्यकता मनुष्यों को ही पड़ती है ।

कपड़े , उस समाज को भी दर्शातें हैं और समाज में कपड़ों की क्या आवश्यकता है यह भी पता चलती है ।

पहाड़ में रहने वाला , उनी वस्त्र अधिक पहनता है और रेगिस्तान वाला पगड़ी तथा रंगबिरंगी पगड़ी ।

लगभग सौ वर्ष पहले तक युरोप के आभिजात्य वर्ग को आप उनके कपड़ों से ही पहचान लेते थे ।

अरबी समुदाय में तो थोड़ा भी कपड़ा फटा हो तो उसे रफू कराना आवश्यक होता था । भारत में बहुत से आदिवासी बहुत ही कम कपड़े या पत्तों इत्यादि के बने सामान से शरीर ढकते रहे हैं । ब्राज़ील तथा अन्य स्थानों पर बहुत से आदिवासी अभी भी वस्त्र नहीं पहनते हैं ।

मुझे याद है की पहले बड़े बुजुर्ग धोती और बंडी पहनते थे और सिला हुआ कपड़ा नहीं पहनते थे ।

तो , इतनी बात स्पष्ट है की कपड़े की आवश्यकता और विविधता और उपयोग देश काल परिस्थितियों में बदलता रहता है ।
और मकान कार सड़क अस्पताल की आवश्यकता भी देश काल परिस्थिति के अनुसार बदलती रहती है ।

शहर के वस्त्र और मकान अलग हो सकते हैं , फ़्लैट्स उपयोगी हो सकते हैं और गाँव के वस्त्र तथा घर अलग हो सकते हैं ।

लेकिन आप अपने आप से पूछिए की मकान में आप क्यों रहते हैं? इसलिए की आप सुरक्षित रहें । और कपड़े आप क्यों पहनते हैं जिससे की आप अपनी आवश्यकता के अनुसार शरीर ढक सकें । आपको , सड़क या अस्पताल या स्कूल क्यों चाहिए ? जिससे की आप सुगमता से एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा सकें या दवा करवा सकें ।

आप स्वंयम से यह प्रश्न पूछिए की यदि आपका कपड़ा पहले फट जाता था तो दुख होता था की नहीं ? हमारे जैसे अभाव में पल रहे लोगों को तो बहुत होता था, कभी कभी एक आध छोटा मोटा क्षिद्र होते हुए भी हम कपड़े पहन लेते थे ।

आपका घर है और बाथरूम की टोटी लीक करने लगी या छत लीक करने लगी तो आप उसको रिपेयर करवाते हैं और यदि धन की कमी है तब टोटी पर कपड़ा इत्यादि बांधकर काम चलाते हैं, पर क्या आप फैंसन में आकर ऐसी टोटी लगवाएँगे जो लीक करती हो ? या ऐसा फ़्लैट ख़रीदेंगे , फैंसन के अनुसार जिसकी छत पहले से ही चूती हो या ऐसा अस्पताल चाहेंगे जिसके उपकरण टूटे फूटे हों ?

आप को उत्तर मिल जाएगा ।

जैसे सड़क का टूटना या टूटी सड़क होना आश्चर्यजनक नहीं है पर आप कभी नहीं चाहेंगे की नयी सड़क , टूटी फूटी बनें । आप नहीं चाहेंगे की आपके कार का नय टायर फटा हुआ हो या आपका रीडिंग ग्लास टूटा हुआ हो । आपका फटे कपड़ा पहनना कष्टकारी नहीं है , पर नए कपड़े ही बुरी तरह से फटा हुआ खरीदना , विचलित करता है ।

आज से सौ वर्ष पहले , स्कर्ट बनाने की कंपनी कहती थी की जैसे जैसे स्कर्ट छोटी होती जाती है उसकी क़ीमत बढ़ती जाती है और स्कर्ट बनाने वाली कंपनी का मुनाफ़ा ।

उपसंहार: आप क्या पहनें या न पहनें या नंगा घूमें यह आप पर निर्भर करता है पर ध्यान रहे की यह पतनोन्मुख आचार है , गंदे फटे कपड़े पहनना धीरे धीरे आपको और भी पतन के पथ पर ले जा सकता है ।और जब टूटी फूटी फ्रिज टीवी या टूटा या ख़राब फ़ोन नहीं ख़रीदते , बाद में ख़राब हो जाय तो काम चला लेते हैं उसी प्रकार कपड़े का फट जाना तो समझ में आता है पर फटे कपड़े , नए के नाम पर ?

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