राजनीतिक विश्लेषक बता रहे हैं कि ,अकेले राहुल गाँधी ,प्रियंका वढेरा और सोनिया एंटोनियो माईनो -कांग्रेस के इन तीन आखिरी मुगलों ने देश की दशकों पुरानी पार्टी जिसने आधी शताब्दी से अधिक देश का संचालन अपने पास रखा , उसको विलुप्त होने के कगार पर ला दिया है |
आज कांग्रेस अपनी साख ,संगठन ,नैतिकता ,सभी कसौटियों पर पूरी तरह से लस्त पस्त और अब तो ध्वस्त सी नज़र आ रही है | भारतीयों के बीच पूरी तरह से अपना विश्वास खो चुकी ये पार्टी अब दिन रात सिर्फ और सिर्फ उपहास का विषय बन कर रह गई है ,और इसके कारण भी वाजिब ही हैं |
यूँ तो अपनी मनमानी और विरोधाभासी ,मौकापरस्त नीतियों तथा तुष्टिकरण की राजनीति करते इस दल की कलई समय समय पर खुद इनके कुकर्मों द्वारा ही खुलती रही है | भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में कांग्रेसी प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा देश पर थोपा गया आपातकाल ,कांग्रेस का वो गुनाह है जिसका कोई पश्चाताप नहीं हो सकता |
” सब मिल बाँट कर खाएंगे ” वाले अपने शाश्वत फार्मूले पर चलते हुए इस पार्टी और इसके लगुए भगुओं ने धीरे धीरे देश को बिलकुल अपनी ही तरह कमीशनखोर , दो नम्बरी ,धूर्त और मौकापरस्ती के सारे दुर्गुण से सुसज्जित कर दिया | बीच बीच में इनके घोटालों काण्डों का कहीं से कोई पर्दाफाश होता तो फिर इनके परम हितैषी इनके इशारों पर देश राज्य मंदिर सड़क कहीं पर भी बम फोड़ के मामले का स्टेयरिंग दूसरी तरफ मोड़ दिया करते | ऐसे में कोई भी इस देश को अपने और सिर्फ अपने ही बाप का माल न समझे तो क्या समझे फिर खासकर वो जो जिन्हें इस देश , देश की मिट्टी ,हवा पानी से प्रेम तो दूर उनकी समझ तक नहीं है |
कांग्रेस की जो ये बची आखिरी त्रिमूर्तियाँ हैं ये तीनों ही राजनीति के लिए सर्वथा अयोग्य हैं और आज भी ” मम्मी मैं सिर्फ पीएम बनूँगा ” का ख़्वाब इसलिए देख पाते हैं क्यूंकि इन्होंने अपनी पूँछ पर जबरिया गाँधी बाबा के नाम का गोदना गुदवा रखा है | अब इससे ज्यादा पोलिटिकल नेपोटिज़्म और भला क्या हो सकता है ,बताइये भला ?
चलिए इन तीन के आगे पीछे अब भी बीन बजाने वाले मासूम बौड़मों को न भी ध्यान में रखें और सिर्फ इन तीनों कांग्रेसी देवताओं का ही आकलन करें तो राजनीति के कौन से सब्जेक्ट में ये पास करने लायक नंबर भी ला पाते हैं ,ये देखने वाली बात होगी |
वाक् कला , समाज के साथ जुड़ाव , देश ,प्रदेश ,क्षेत्र विशेष का परिचय और उससे पहचान , देश के संस्कृति ,सभ्यता , इतिहास ,परम्पराओं ,त्यौहारों के प्रति जानकारी और व्यवहार ,प्रशासनिक कार्यकुशलता , स्वयं की छवि का निर्माण , एक राष्ट्र के -सवा अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता ,अपनी योग्यता और काबलियत से लोगों का स्नेह और सम्मान पाने की कला ……….आदि इनमे से छोटे से छोटा गुण भी कभी जनमानस इनमें देख पाई या आगे भविष्य में भी देख सकेगी ,अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं ? कांग्रेस में फिलहाल सबसे ज्यादा अपरिपक्व और अदूरदर्शी यही तीनों हैं |
मोहनदास करम चंद गाँधी जी की इच्छा की पूर्णाहुति जरूर इन तीन आखिरी कांग्रेसी मुगलों की कथनी और करनी द्वारा ही पूरी होगी | गाँधी जी की इच्छा थी कि कांग्रेस को लक्ष्य प्राप्ति के बाद ख़त्म कर दिया जाना चाहिए | अब उन्हें ये कहाँ अंदाजा था की कांग्रेस ने इस बीच अपना लक्ष्य ही बदल कर सत्ता और भ्रष्टाचार बना लिया और न ही उन्हें ये पता होगा कि जब भी कांग्रेस मुतमईन होकर शहादत की राह पर अग्रसर होगी उसके लिए सबसे अधिक परिश्रम खुद सेम टू सेम , नाक ठोड़ी और बाल वाले लेटेस्ट गांधी करेंगे |
अब इसमें ये शर्त और जुड़ी हुई है कि भ्रष्टाचार और घोटाले के कई मामलों में ये सब अदालत से मिली जमानत की बदौलत ही आज जेल से बाहर हैं | कल कहीं जो अदालतों ने अपनी सख्ती दिखाई फिर तो बंगले ,कोठी ,गाड़ी ,गार्ड्स वाली सहूलियत भी ख़त्म हो सकती है और ये तीनों ही वास्तव में सलाखों के पीछे से अपनी कांग्रेस की मातमपुर्सी में शामिल हों |
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