कविता मैं नारी हूँ मैं चंदन हूँ , घिस के महक जाऊँगी,मैं हिना हूँ , पिस के भी रंग लाऊँगी ।मैं बाती हूँ, खुद जलूँ तो रोशनी फैलाऊँगी,मैं...
कविता हम में एक हनुमान है सागर तट पर खड़े हम, संग वीर धनुर्धारी,राष्ट्रवाद को हर लिए हैं किन्हीं अशुभ बलधारी।खोज रहे हम समाधान, दूर आशा की किरण है,भूल रहे...