Comic Man बनकर रह गए है महाराष्ट्र के CM, रोज सामने आ रहा है फूहड़पन…
कॉविड जैसी गंभीर महामारी में जब देश के गृहमंत्री अमित शाह जी पूरे भारत के राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ अति जरूरी मीटिंग ले रहे थे वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्भव ठाकरे मुख्यमंत्री के गरिमा में पद पर बैठकर आलीशान तरीके से उस समय को मनोरंजन के रूप में व्यतीत कर रहे थे आप समझ सकते हैं कि जब देश का गृहमंत्री पूरे देश के मुख्यमंत्रियों के साथ आपातकालीन वह कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए अति गंभीर मीटिंग ले रहे हो तब अगर सच्चा जनसेवक हैं तो उसे अपने प्रदेश की जनता के हित और अधिकार के कार्यों के अलावा कोई जरूरी काम नहीं रहता है बावजूद उसके उधव ठाकरे का कांफ्रेंस के दौरान मोबाइल चलाना तथा बीच-बीच में लैंडलाइन फोन अटेंड करके इस बात का एहसास करवाना कि उनके मन में गृहमंत्री के प्रति कोई सम्मान नहीं है मैं इस लेख के माध्यम से बता देना चाहता हूं कि वह समय चला गया जब बालासाहेब ठाकरे का अपना एक अलग रुतबा था अपनी एक अलग पहचान थी क्योंकि बालासाहेब ठाकरे हिंदुओं के हक और अधिकारों के लिए लड़े थे इसलिए उनका अहम और घमंड अपनी जगह जायज था परंतु यह राजनीति के चाटुकार शिवसेना के नाम पर कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करके दलाल वाली सरकार चलाने का जो कुकृत्य उद्धव ठाकरे ने अपनी राजनीतिक लालसा को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री के पद पर बैठकर जो किया है उस में कहीं भी किसी भी प्रकार से कोई रुतबा बाकी बचता नहीं है अपने आपको बेस्ट सीएम का वर्ड दिलवा लेने से आप सर्वश्रेष्ठ नहीं हो सकते पूरे हिंदुस्तान की नजर में आप थर्ड ग्रेड मुख्यमंत्री हैं जो केवल और केवल अवसर का फायदा उठाकर इस सीट पर चिपक कर बैठे हैं इस सीट पर बैठने के बाद सत्ता का दुरुपयोग करना कोई आपसे सीखे आपने सत्ता के दुरुपयोग के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को भी पीछे छोड़ दिया आए दिन नए-नए किस्से महाराष्ट्र से सुनने को मिलते हैं फिर वह भले ही सुशांत सिंह राजपूत का मामला हो या भले ही कंगना राणावत का मामला हो या भले ही ड्रग्स के अंदर पूर्ण रूप से लिफ्ट बॉलीवुड की गंदगी हो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कभी भी किसी भी विषय पर खुलकर कोई बात नहीं रखी और यह भाव उद्धव ठाकरे का दर्शाता है कि कहीं ना कहीं हमाम में यह पूरी तरह से नंगे हैं और है लोगों को पता नहीं चल जाए जबकि जनता पूर्ण रूप से ठाकरे के दोगले चित्र और चरित्र को समझ चुकी है और पूरी जनता के मन में उद्धव ठाकरे जैसे अवसरवादी नेता के प्रति कोई भी सम्मान बचा नहीं है आज की मीटिंग में उद्धव ठाकरे के व्यवहार से साफ-साफ झलक रहा है यह केवल और केवल बचकाना हरकत है जो बाला साहब ठाकरे की आत्मा को रोज रोज दुखी कर रही है
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