पश्चिम बंगाल में नई सरकार बन जाने के बाद भी हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही. हर रोज हिंदूओं पर अत्याचार, बीजेपी कार्यकर्ता और उनके परिवार वालों को मारने की खबरें. बंगाल में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य में जिस तरह से TMC के गुंडों ने आतंक मचाया है , उसकी वजह से हजारों हिंदू हिंसा के शिकार हुए, हिन्दू बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या हुई, जिसके बाद अपनी और अपने परिवार वालों की जान बचाने के लिए सैकड़ों लोग पलायन के लिए मजबूर हुए, डरे-सहमें परिवारों की हालत ऐसी है कि न तो सिर छिपाने के लिए छत है और न ही तन ढकने के लिए कपड़े हैं, छिपते–छिपाते जान बचाते किसी तरह से हमारे हिंदू भाई-बहन जीवन बिता रहे हैं.
लेकिन कहते हैं न ईश्वर किसी न किसी को जरिया बनाकर आपकी मदद के लिए भेजता है . ऐसे ही हिंसा पीड़ित हिंदुओं की मदद के लिए बीजेपी नेता कपिल मिश्रा एक मसीहा बनकर आये हैं . कपिल मिश्रा और डॉ. अनिर्बान गांगुली ने मिलकर crowdkash पर कैम्पेन शुरू किया था, अबतक लगभग 50 लाख रूपये आ चुके हैं, जिसमें 203 पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता भेजी गई है , 500 परिवारों को राशन दिया गया है, पीड़ित परिवारों में कोरोना के मरीजों के लिए 10 ऑक्सीजन सिलेंडर भिजवाया है, उन्होंने कहा, 2000 तिरपाल पीड़ित परिवारों के कैम्प के लिए सेवा भारती को भेजे जा रहे हैं.
बंगाल में जारी हिंसा के शिकार लोगों की आर्थिक मदद के लिए बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कैम्पेन शुरू किया था, जिसके अंतर्गत अबतक लगभग 50 लाख रूपये आ चुके हैं, इस राशि से अब पीड़ितों को हर आर्थिक सहायता से लेकर हर तरह की मदद भेजी जा रही है. बता दें आपको कुछ समय पहले बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने ऐलान किया था कि बंगाल में हिंसा का शिकार हुए एक भी परिवार को ना अकेला पड़ने देंगे, ना कमजोर, उन्होंने कहा, बंगाल में वही हो रहा है जो कश्मीर में हुआ था.
बंगाल में हुई हिंसा के बाद बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट कर कहा, जो कश्मीर में हुआ वो दुबारा हम नहीं होने देंगे. बंगाल में हिंसा का शिकार हुए एक भी परिवार को ना अकेला पड़ने देंगे, ना कमजोर। कपिल मिश्रा ने कहा, हम सब मिलकर इन परिवारों को सहारा देंगे, हौसला देंगे, मजबूत करेंगे, उन्होंने कहा, बंगाल में जो हो रहा है, वो बिल्कुल वही है जो कश्मीर में हुआ था, बंगाल में जो हो रहा है, वो बिल्कुल वही है जो डायरेक्ट एक्शन डे के दिन हुआ था, उस वक्त का सन्नाटा, उस वक्त हिंसा का सामना कर रहे परिवारों को अकेला छोड़ना आज तक पूरे देश और समाज पर भारी पड़ रहा है, आजतक उसकी कीमत चुका रहे हैं।
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