लेख को थोड़ा गम्भीरता से पढ़ें
अमेरिका से ट्रम्प के हारते ही कोरोना गायब होगया था, अब वही प्रयोग भारत मे हो रहा है, भारत और केंद्र सरकार को चीन जैविक हथियार से हराना चाहता है और इसमे भारतीय कम्युनिस्ट ओर विपक्ष पूरा साथ दे रहा हैं अगर आप विगत वर्ष पर एक नजर डालेगें तो आप सोचने पर मजबूर हो जायेगें की यह मैं बहुत सोच समझकर बोल रहा हूँ
ट्रम्प ने भी इस साजिश की ओर संकेत किया था कि ये वाइरस चीनी प्रोडक्ट है और चीन उसका उपयोग अमरीका में बैठे उसके वामपंथी भेड़ियो के माध्यम से अमेरिका की चीन विरोधी ट्रम्प सरकार को अस्थिर करने में कर रहा है और अंत मे वही हुआ ,चीन के वायरस ओर अमेरिकी वामपंथियों द्वारा मचाई गई सुनियोजित भगदड़ ने ट्रम्प को हटाने में सफलता पाई और जैसे ही ट्रम्प हटा ओर कम्युनिस्ट बाइडन अमरीकी सत्ता पर काबिज हुआ वैसे ही अमरीका से कोरोना गायब भी हो गया।
और अब यही प्रयोग भारत मे भी चीन और भारत मे बैठे वामपंथी भेड़िये कर रहे हैं । ये महामारी नही चीन और देशद्रोहियों का जैविक हमला है भारत मे सिर्फ मोदी को हटाने के लिए ये दरिंदे भारत में लाशों के ढेर लगा रहे है ठीक अमेरिका की तरह ट्रम्प के हटने तक जो प्रयोग किया था वही प्रयोग भारत मे कर रहे है चीन और ये वामपंथी भेड़िये।
अब डालते हैं विगत वर्ष से लेकर अब तक की घटनाओं पे एक नजर
विगत वर्ष २०२० में २५ मार्च को लगने वाला लॉकडाउन नवम्बर महीने के अंत से हटना शुरू हो गया था और जनवरी २१ के आते कोरोना के केस भी बहुत काम रह गए थे और इसी के साथ साथ वामपंथी और विपक्ष, किसान आंदोलन की आड़ लेकर कोरोना के दूसरे आक्रमण की तैयारियों में जुटे थे
मकसद था केंद्र सरकार को किसान आंदोलन में उलझाए रखना और देश को कोरोना की दूसरी लहर में झोंक देना।
भारत की एक विपक्षी पार्टी जो कभी भारत पर दशकों से राज करती थी, इस षड्यंत्र में सबसे बड़ा मोहरा थी क्योंकि यह पार्टी अब देश में खात्मे के कगार पर पहुँचती जा रही थी और दशकों से सत्ता का स्वाद चखने के साथ बीजेपी इस पार्टी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा थी। दशकों से भारत पर राज करने के कारण इस पार्टी के देश और विदेश में बहुत से देशविरोधी ताकतों से इसके सम्बन्ध भी बने और इन देशविरोधी ताकतों से इस पार्टी को ट्रस्टों के नाम से चंदा देने के नाम पर धन की भी व्यवस्था की जा रही थी और इसमें कोई शक नहीं वर्षों के भ्रस्टाचार और घोटालें करने के कारण यह अभी भी भारत की सबसे बड़ी और धनी पार्टी थी
अब शुरू होता है असली खेल
१. केंद्र सरकार के चेतावनी देने के वावजूद भी इस पार्टी और इसकी सहयोगी पार्टियों ने १ साल में अपने अपने प्रदेशों में कोरोना से लड़ने के उचित प्रबंध नहीं किये जिसमें ऑक्सीजन प्लांट लगवाना, ऑक्सीजन टैंकर की व्यवस्था करना, आवश्यक दवाईओं का उचित प्रबंधन करना, अस्पतालों को बेहतरीन बनाना इत्यादि। इन सब पर आँख मूंदकर कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी ।
२. किसान आंदोलन में केंद्र सरकार को उलझकर रखना – सितम्बर’२० में किसान बिल पास होने की वजह से विपक्षी दलों को एक बहुत ही अच्छा अवसर मिला और उसने इस बिल का विरोश करते हुए पंजाब और दिल्ली के किसानों मूलतया बिचौलियों को भड़काकर और उनके नेताओं को प्रयोग कर केंद्र सरकार को उलझाए रखा ताकि वह कोरोना से निपटने के राज्य सरकारों के कोरोना से लड़ने की तैयारियों की समीक्षा न कर सके ।
३. देश और विदेश में उपस्तिथ अपने एजेंटो और रिपोर्टरों को आने वाली विभीषिका के लिए पैसा खिलाना ताकि कोरोना की दूसरी लहर आते ही वह देश विरोधी रिपोर्टिंग कर सकें और केंद्र की अत्यंत नकारात्मक तरीके से प्रस्तुत किया जा सके – इसका उदहारण है टाइम और द न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे मोदी विरोधी लेख
४. किसान आंदोलन को भड़काने में भी एक टूल किट का प्रयोग किया गया जो ग्रेटा थानबर्ग नाम की एक एक्टिविस्ट की गलती की वजह से उजागर हो गयी। इससे पता चलता है की किस तरह से यह पूरा आंदोलन एक बहुत ही उच्च स्तरीय योजना के तहत अंजाम दिया गया था।
५. इस कुख्यात विपक्षी पार्टी के पार्टी अध्यक्ष और पूर्व पार्टी अध्यक्ष की अमेरिका, लंदन और बैंकॉक की यात्राएं – जब भी यह लोग इस तरह की यात्रा करते थे, प्रोटोकॉल के तरह इन लोगों ने सुरक्षा व्यवस्था लेने से मना करना ताकि यह किस्से मिले और इनकी यात्रा का उद्देश्य क्या था, यह गोपनीय रखा जा सके। इस दौरान यह लोग किनकिन लोगो से मिलते थे और किस तरह की डील होती थीं? यह सब अत्यंत गोपनीय है और किसी को भी नहीं पता ।
६. इस विपक्षी पार्टी के चीन की सरकार के साथ अत्यंत गोपनीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना – सभी को पता है इस पार्टी ने चीन की सरकार के साथ इस तरह के गोपनीय समझौते पर हस्ताक्षर किये थे परन्तु उसका मसौदा क्या था, यह आज तक सार्वजानिक नहीं हुआ है
७. कोरोना की दूसरी लहर भारत के महाराष्ट्र, दिल्ली , छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ही फैलना – उत्तर प्रदेश की आबादी २८ करोड़ के करीब है और यहाँ योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की कानून व्यवस्था, बुनियादी ढांचा और आधारभूत प्रणालियों को सशक्त करने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है तथा आगामी वर्ष वहां चुनाव भी होने वाले हैं, इसको ध्यान में रखकर कोरोना फैलाना ताकि योगी आदित्यनाथ और बीजेपी की सरकार की प्रतिष्ठा और धारणा को बदनाम किया जा सके जिससे अन्य विपक्षी दलों को सत्ता में आने का अवसर मिल सके।
८. कोरोना का सिर्फ भारत के कुछ राज्यों में ही फैलना जबकि निकटवर्ती पड़ोसी देश भूटान, पाकिस्तान, बंगाल और नेपाल इत्यादी ना सिर्फ इससे अछूते हैं बल्कि वहां पर इस तरह की कोई आपातकाल भी नहीं है
९. बंगाल चुनावों में मोदीजी और बीजेपी सरकार को बदनाम करने की साजिश – वह कोरोना प्रभावित राज्यों के लिए कुछ ना कर सिर्फ चुनाव जीतने पर जोर दे रहे हैं
१०. केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली में कोई भी ऑक्सीजन प्लांट न लगाना और यहाँ तक की लोकल ऑक्सीजन प्लांट को भी बंद कर देना ताकि ऑक्सीजन की कृतिम समस्या पैदा कर केंद्र सरकार पर ऑक्सीजन न देने की जिम्मेदारी ठहरा कर आरोप लगाया जा सके और उसको बदनाम किया जा सके
११. विपक्षी दलों द्वारा एक योजना के तहत केंद्र विरोधी माहौल बनाना और सोशल मीडिया और समाचार चैनलों के तहत केंद्र सरकार को आरोपित करना जबकि राज्यों की स्वास्थ्य व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है
१२. बंगाल चुनावों के बाद यह प्रक्रिया उत्तर प्रदेश के चुनावों तक चलने वाली है और उत्तर प्रदेश इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यही देश का सबसे जयादा सीटों वाला राज्य है जो पूरे भारत की राजनीति को सीधे सीधे प्रभावित करता है
१३. भारत में बनी वैक्सीन का विरोध कर जनमानस को वक्सीनशन के लिए हतोत्साहित करना ताकि कोरोना की दूसरी लहर प्रचंड रूप से फ़ैल सके और इसके लिए कविशिएल्ड और कोवाक्सिने का यह विरोध यह कहकर किया गया की इनके परिणाम संदिग्ध हैं और जल्दबाजी में इनको स्वकृति दी गयी है
उपरोक्त तथ्यों से यह स्पस्ट है कि कोरोना कि यह दूसरी लहर एक सोची समझी रणनीति और षड्यंत्र के तहत विपक्षी दलों और देशद्रोही ताकतों द्वारा लाई गयी है और देश के इन देश्द्रोहिओं का संज्ञान लेते हुए, इस पूरी साजिश का पर्दाफाश किया जाए जिसमें लाखों मासूम लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।
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