पूरे देश में कोरोनावायरस से हाहाकार मचा है ऐसे में अब खबरें आ रही है कि कोरोनावायरस शहरों की सरहद को छोड़कर गांव की ओर बढ़ गया है । यूपी बिहार के कई गांवों से खबर आ रही है कि सभी गांवों में सर्दी खांसी जुकाम की समस्या फैल गई है । बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल हो रही है जिसमें गंगा नदी में बहते हुए शव दिखाई दे रहे हैं कहा जा रहा है कि यह कोरोनावायरस से मारे गए लोगों के शव हैं जिन्हें  गंगा नदी में बहा दिया गया है । हाल ही में आई खबर के मुताबिक बिहार के बक्सर जिले में सोमवार को गंगा में 40 लाशें बहती देखी गईं। आज गाजीपुर में यूपी-बिहार बॉर्डर के गहमर गांव के पास गंगा में दर्जनों लाशें मिली हैं. गंगा में नाव चलाने वाले गहमर के बुजुर्ग नाविक शिवदास का कहना है कि चालीस साल से नाव चला रहे हैं, लेकिन गंगा में इस तरह बिखरी लाशों का मंजर कभी नहीं देखा।

इससे हमारे गांवों की भयावह हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है. खबरें बता रही हैं कि गांवों में श्मशानों में जगह कम पड़ गई है. दिन रात लाशें जल रही हैं. इसके बावजूद कई जगह लोग शवों को गंगा में प्रवाहित कर रहे हैं. वे शव बहकर कहीं पर किनारे लग रहे हैं।
यूपी और बिहार के गांव-गांव में लोग खांसी और बुखार से पीड़ित हैं. एक-एक गांव में दर्जनों मौतें हो रही हैं. अभी तक शहरों के हाहाकार से निपटने का ही कोई खास इंतजाम नहीं है. गांवों का क्या होगा, कोई नहीं जानता।


गांव में न टेस्ट हो रहे हैं, न दवाएं हैं, न डॉक्टर हैं, न अस्पताल हैं. जो लोग बीमार हो रहे हैं, वे छुआछूत के डर से बीमारी छुपा रहे हैं. हर ​जिले में बिना सुविधाओं के कम से कम एक जर्जर जिला अस्पताल या हर ब्लॉक में एक खंडहरनुमा प्राथमिक चिकित्सा केंद्र तो है ही, जहां कुछ लोगों के टेस्ट हो सकते हैं. लेकिन लोग टेस्ट कराने से भी बच रहे हैं।


खबरें कहती हैं कि लकड़ी और जगह की कमी के चलते लोग शवों को जलाने की जगह गंगा में प्रवाहित कर रहे हैं.इस तरह गंगा में तैरते शवों से संक्रमण और ज्यादा फैल सकता है. सरकार के पास आक्सीजन और दो-चार दवाओं जैसी मामूली चीजों का अब तक कोई इंतजाम नहीं है तो गांव-गांव तक महामारी रोकने के बारे में कुछ किया जाएगा?

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