“A Mughal is always a Mughal “
मुगलिया सोच वालों के लिए ये सच ही लिखा गया है कि एक जुझलमान हमेशा जुझलमान ही रहता है , चाहे को अमेरिका में रहे या तुर्की में भारत में रहे या पाक्सितान में और क्रिकेट में रहे या फिल्म में , मौक़ा पड़ते ही वो अपनी मुगलपंथी से बाज नहीं आता।
इस देश में जहाँ पाकिस्तान की हार पर मातम मनाने वाला पूरा मोहल्ला मौजूद हो वहां का एक मुग़ल क्रिकेटर बात बार अपने दीन और ईमान की पीपनी बजाने लगे तो फिर आश्चर्य कैसा। हमेशा की तरह क्रिकेटर इरफ़ान पठान का मुगलिया दर्द एक बार फिर उनके पिछवाड़े से निकल और उनके मुंह के रास्ते बाहर आ गया और उन्होंने ऐसे समय में जब पूरा भारत इजराइल के साथ खड़ा है , न सिर्फ भारत बल्कि आतंक से नफरत करने वाला हर देश इजराइल के साथ है तो ऐसे में ये लोटिया पठान अपना फिलिस्तीन प्रेम झाड़ रहा है
इतना ही नहीं इजराइल का साथ देने वालों उसके साथ एकजुटता दिखाने वालों को कोसने लगता है। इससे पहले भी क्रिकेटर युवराज सिंह , हरभजन सिंह जैसे खिलाड़ी अपने पाकिस्तानी दोस्तों के लिए आंसू बहा चुके हैं। और ऐसे में जब देश के वो करोड़ों लोग जिन्होंने इन खिलाड़ियों को प्यार और सम्मान देकर अर्श से फर्श तक पँहुचाया , वो जब इन्हें “खाते हिन्दुस्तान का गाते पाकिस्तान का ” कह कर आईना दिखाने लगते हैं तो ये बिलबिला जाते हैं।
इरफ़ान पठान और इनके जैसे तमाम बुर्काबंद नकाबपोश बड़ी ही धूर्तता और चालाकी से देश के संशाधन , पैसा , नाम , सम्मान पाकर मौक़ा पाते ही देश के विरूद्ध जहर उगल कर अपने कौम के प्रति वफादारी दिखाने लगते हैं। फिलिस्तीन के लिए टसुए बहाते इरफ़ान पठान को इजराइल द्वारा ऐसी कठिन समय में भी भारत के लिए चिकित्स्कीय मदद और ऑक्सीजन की आपूर्ति करना नहीं दिखाई देता। इजराइल की छोड़िए पश्चिम बंगाल में हाल ही में हिन्दुओं के कत्लेआम पर मुंह सी कर बैठे ये सब अब ज़हर उगल रहे हैं।
सिनेमा , साहित्य , खेल , राजनीति , कोई भी क्षेत्र हो मज़हबी कट्टरता के आगे सब फेल हो जाता है और ये आमिर खान , शाहरुख खान ,नसीरुद्दीन शाह , सैफ अली खान , मुनव्वर राणा , हमीद अंसारी , अज़हरुद्दीन , इरफ़ान पठान आदि सब सिर्फ और सिर्फ एक मुग़ल बन कर रह जाते हैं। अफ़सोस है कि ये और सिर्फ यही सच है।
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