आखिर मोदी सरकार क्यूं बना रही है नई संसद बिल्डिंग (सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट)
जब भी किसी विषय पर कांग्रेस हल्ला करे ,विरोध करे तब इसका मतलब है मोदी ने कमीशन बंद कर दिया । जैसे राफेल, किसान बिल आदि ,या मोदी जी देशहित में कोई बडा कदम उठाने वाले हैं |
अब समझते है राहुल गाँधी और बिकाऊ पत्तलकार क्यूं सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पे रो रहे है
आपको शायद नेशनल हेरल्ड केस याद हो. अख़बार नेशनल हेरल्ड की सैकड़ों करोड़ की बिल्डिंग सोनिया एंड फ़ैमिली के नाम पर कौड़ियों में कर दी गई थी और फ़िर उस बिल्डिंग को सरकार के ही विभिन्न विभागों को करोड़ों रुपए किराए पर उठा रखा गया था
हींग लगे ना फिटक़री, फ़ैमिली को नम्बर वन की मुफ़्त की करोड़ों की कमाई।
दिल्ली में ऐसी सैंकड़ों प्रॉपर्टी हैं पीक लोकेशन पर ।
जिनके आधिकारिक मालिक गुमनाम ट्रस्ट / कम्पनियाँ हैं. इन ट्रस्टों / कम्पनियों के मकड़ जाल के पीछे इन सबकी मालकियत देश की इन्हीं गिनी चुनी फ़ैमिली के हाथ में है. और फ़िर यह बिल्डिंग पचास साल प्लस से भारत सरकार को करोड़ों रुपये किराए पर उठा रखी गई हैं ।
रेल ,स्वास्थ्य,कृषि,गृह,शिक्षा, जैसे लगभग 51 मंत्रालयों के आफिस इन प्राईवेट बिल्डिंगों में दिल्ली में हैं, जिसका प्रतिवर्ष का किराया पिछली कांग्रेस की सरकार ने बिल्डिंग मालिकों से मार्किट रेट से बहुत ऊँची कीमत पर किया हुआ था, जिसके कारण सरकार के या यूं कहें कि जनता के टैक्स के करोडों रुपये कांग्रेसियों के निकट या प्यारे रहे लोगों की जेब में जाता है |
नई संसद बनते ही ये सभी मंत्रालय के आफिस प्राईवेट बिल्डिंगों से हटकर सरकारी नई संसद भवन की बिल्डिंग में शिफ्ट हो जाएंगे, फिर ये प्राईवेट लोगों की कमाई बंद हो जाएगी |
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट विरोध का मूल कारण यही है. यह बात बच्चा भी जानता है कि संसद भवन हो या प्रधान मंत्री आवास वह मोदी का व्यक्तिगत नहीं,
भारत के प्रधान मंत्री और भारत की संसद का है. फ़िर इस प्रोजेक्ट का इतना मुखर विरोध, व्यक्तिगत स्तर तक जाकर पूरी ताक़त से जो विरोध किया जा रहा है, उसकी वजह व्यक्तिगत ही है
दरसल नए सेंट्रल विस्टा में भारत सरकार के 51 मंत्रालय अपनी खुद की बिल्डिंग में होंगे. वर्तमान में यह मंत्रालय दिल्ली में किराए की बिल्डिंग में चलते हैं
जिनका एक साल का किराया लगभग हज़ार करोड़ भारत को देना पड़ता है ।
जैसा आप सब जानते हैं इनमे ज्यादातर बिल्डिंग की ओनर शिप किसके पास है*????
बिल्डिंग का किराया हज़ार करोड़ इस लिए है क्योंकि दसकों से चले आ रहे लीज़ अग्रीमेंट में रेंटल का रेट सबसे शानदार है, जिसमें ज्यादातर बिल्डिंग मालिकों का संबंध कांग्रेस के किसी न किसी नेता है |
एक बार उन प्राईवेट बिल्डिंगों से मंत्रालय हट गए तो इसका दस प्रतिशत किराया इन्हें नहीं मिलेगा |
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट सीधा सीधा फ़ैमिली नम्बर वन (गांधी परिवार )और उनके क्रोनीज को हज़ार करोड़ की चोट है. यह व्यक्तिगत है और इस लिए इस प्रोजेक्ट का विरोध भी व्यक्तिगत है
किंतु इसे पैसे की बरबादी बताकर, मोदी का घर बताया जा रहा है जबकि इस भवन की व्यवस्था इसलिए की जा रही है ताकि सभी मंत्रालय, मंत्री व उनका स्टाफ, सभी सांसदों की व्यवस्था एक ही परिसर में हो सके |
इससे मंत्रियों की सुरक्षा पर होने वाले करोडों रुपयों की भी बचत होगी I और जनता और देश के हजारों लाखों करोड़ रुपए की सीधी बचत होगी और ये बचत कांग्रेस व अन्य दलालों को खटकना स्वाभाविक है और उसके लिए ही ये हल्ला हो रहा है आम जनता जिसे अमूमन ऐसे मामलो से कोई लेना देना नहीं है पर फिर भी कुछ उदित राज, आशुतोष जैसे चमचों द्वारा लगातार ऐसे मामलों को तुल देकर माहौल खराब करने का इरादा रहा है ।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.