2010 के बाद देश की फिजाओं में ‘अन्ना नहीं यह आंधी है देश का दूसरा गांधी है’ नारा गूंज रहा था। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अन्ना हजारे जिस तरह से बिगुल फूंक कर देश के युवाओं को सीधे संबोधित कर रहे थे उस जनक्रांति का हश्र उनके कुछ शिष्यों ने गर्त में सारी संभावनाओं को फेंक कर किया है। इंडियन आर्मी में अपनी सेवाएं देने वाले एवं सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे आज अपना 84वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म आज ही के दिन 1937 को महाराष्ट्र के रालेगण सिद्दी हुआ था।
महाराष्ट्र के एक गरीब मराठा परिवार में जन्में अन्ना को भले ही भारत सरकार ने पद्मविभूषण से सम्मानित किया हो, किन्तु सत्ता की राजनीति में आने के हर ऑफर को इस समाजसेवी ने कभी स्वीकार नहीं किया। अन्ना ने लोकपाल बिल को पास करवाने से लेकर देश को दीमक की तरह खोखला कर रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ तक आवाज बुलंद की थी। उनके इसी जज्बे के कारण लोग उन्हें दूसरा गांधी कहने लगे थे, एक नारा चल पड़ा था ”अन्ना नहीं ये आंधी है, देश का दूसरा गांधी है।” वर्तमान समय में दिल्ली की सत्ता में काबिज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद को अन्ना हजारे का शिष्य बताते थे मगर अब रालेगण के इस संत को सत्ता की मलाई चाट रही आम आदमी पार्टी ने दूध में मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया है।
संता बंता, अब्दुल ,दीपक, राजू, बंटी के जन्मदिन विश करने वाले मुख्यमंत्री केजरीवाल और ना ही उनकी आम आदमी पार्टी के किसी भी सदस्य ने अन्ना हजारे को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं दी हैं। इसे इस तरह देखिए और सीखिए कि जिन क्रांतियों से सत्ता पाने की चाभी निकलती है अक्सर उन क्रांतियों के नायक दूर नेपथ्य में खो जाते हैं, यही गांधी, जेपी, लोहिया, आडवाणी के साथ हुआ और ये ही अब अन्ना के साथ हुआ है।
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